भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी माध्यम से ASEAN शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेने का निर्णय लिया है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से आमना-सामना फिलहाल टल गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की विदेश नीति और एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। शिखर सम्मेलन में व्यापार, सुरक्षा और डिजिटल सहयोग जैसे कई अहम विषय चर्चा में आएंगे।
ASEAN शिखर सम्मेलन का महत्व
ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) शिखर सम्मेलन एशियाई देशों के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सहयोग का प्रमुख मंच है।सम्मेलन में दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी पर जोर होगा। डिजिटल इकोनॉमी, निवेश, रक्षा सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे चर्चा के मुख्य विषय हैं। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी से भारत की ASEAN के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों में मजबूती आएगी।
भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत ASEAN देशों के साथ समग्र सहयोग को और मजबूत करना चाहता है। भारत-ASEAN सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- व्यापार और निवेश: नई टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और स्मार्ट शहर परियोजनाओं में साझेदारी।
- सुरक्षा: समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा पर सहयोग।
- सांस्कृतिक और मानव संसाधन विकास: शिक्षा, प्रशिक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
अमेरिका और भारत के बीच फिलहाल टकराव टला
ASEAN सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प से सीधी बैठक फिलहाल नहीं होगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की रणनीति को सहज बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा के लिए अलग समय पर बैठक की संभावना बनी हुई है।
आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव
भारत-ASEAN सहयोग से क्षेत्रीय व्यापार और निवेश में वृद्धि की उम्मीद। डिजिटल और ऊर्जा क्षेत्रों में साझेदारी से नई नौकरियों और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा।सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग से दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थिरता सुनिश्चित होगी।








