भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने ‘National Green Hydrogen Corridor’ योजना की घोषणा की है, जो देश को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बना सकती है। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत 2030 तक नेट-ज़ीरो इमिशन लक्ष्यों के करीब पहुंचना चाहता है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन वह ऊर्जा स्रोत है जो सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके तैयार किया जाता है। यह पूरी तरह शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला ईंधन है और आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल का विकल्प बन सकता है।
क्या है यह योजना?
इस योजना के तहत गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा और राजस्थान में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन हब बनाए जाएंगे। इन हब्स में सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग कर हाइड्रोजन तैयार किया जाएगा, जिससे फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम होगी।
आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
ग्रीन हाइड्रोजन न केवल कार्बन उत्सर्जन को घटाएगा, बल्कि भारत को ऊर्जा निर्यातक देश बनाने की दिशा में भी मदद करेगा। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यह प्रोजेक्ट आने वाले 10 वर्षों में 10 लाख से अधिक रोजगार पैदा कर सकता है। ‘National Green Hydrogen Corridor’ भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह देश को एक क्लीन और सस्टेनेबल एनर्जी हब में बदल सकता है।
वैश्विक सहयोग और निवेश
कई विदेशी कंपनियाँ — जैसे Siemens, Shell और Adani Green Energy — इस परियोजना में निवेश में रुचि दिखा चुकी हैं।भारत इस मिशन के जरिए मध्य पूर्व और यूरोप को भी ग्रीन एनर्जी एक्सपोर्ट करने की योजना बना रहा है।