माँ दुर्गा स्वयं शक्ति का अवतार हैं और नवरात्रि के दौरान सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त शारदीय और चैत्र नवरात्रि के अलावा गुप्त नवरात्रि में दो बार देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत कब और कैसे हुई?
नवरात्रि की शुरुआत करने वाले प्रभु राम ने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक शक्ति और जीत की प्रार्थना की. वाल्मिकी रामायण में उल्लेख है कि लंका पर चढ़ाई करने से पहले, प्रभु राम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर दुर्गा की पूजा की थी.
ब्रह्माजी ने रामजी को दुर्गा के चंडी रूप की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्माजी की सलाह का पालन करते हुए भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक चंडी देवी की पूजा और पाठ किया.
चंडी पूजा के साथ ही ब्रह्माजी ने रामजी से कहा कि आपकी पूजा तभी सफल होगी जब आप चंडी पूजा और हवन करेंगे. जिसके लिए 108 नीले कमल भी चढ़ाने होते हैं
नीला कमल दुर्लभ माना जाता है. रामजी ने अपनी सेना की मदद से इन 108 नीले कमलों को ढूंढ लिया, लेकिन जब रावण को पता चला कि राम चंडी देवी की पूजा कर रहे हैं
और नीले कमल की खोज कर रहे हैं, तो उसने अपनी जादुई शक्तियों से नीले कमलों में से एक को गायब कर दिया. चंडी पूजा के अंत में,
जब भगवान राम ने वह नीला कमल अर्पित किया, तो उनमें से एक कमल कम था. यह देखकर वह चिंतित हो गए और अंततः उन्होंने कमल के स्थान पर अपनी एक आंख मां चंडी को अर्पित करने का निर्णय लिया. जैसे ही उन्होंने आंख चढ़ाने के लिए तीर उठाया, मां चंडी प्रकट हुईं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया.
इसके बाद प्रतिपदा से नवमी तक भगवान राम ने मां चंडी को प्रसन्न करने के लिए अन्न या जल ग्रहण नहीं किया. भगवान राम ने नौ दिनों तक देवी दुर्गा के एक रूप चंडी देवी की पूजा करने के बाद रावण को हराया था. ऐसा माना जाता है कि तभी से नवरात्रि और 9 दिनों के व्रत का उत्सव शुरू हुआ. ऐसे में भगवान राम पहले राजा और पहले इंसान थे जिन्होंने 9 दिनों तक नवरात्रि का व्रत रखा था.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. 2 अक्टूबर को महालया अमावस्या मनाई जाएगी. इस दिन लोग देवी दुर्गा को धरती पर आमंत्रित करते हैं. महालया अमावस्या के बाद यानी 3 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएगी. शारदीय नवरात्र समारोह का समापन 12 अक्टूबर को होगा.