रायपुर ,छत्तीसगढ़ समेत देशभर में रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (आरसीएम) लागू हो गया। ऐसा पहली बार होगा, जब किराएदार को भी जीएसटी भरना होगा। अभी तक मकान मालिक अपने रिटर्न में बताता था कि वो भवन का मालिक है और उसे किराये से कितनी आय हो रही है। इसके लिए उसे जीएसटी में पंजीयन भी कराना पड़ता था।
लेकिन अब नियम के तहत मकान मालिक के साथ ही किरायेदार भी जीएसटी में पंजीयन करवा सकता है। इसके बाद वो अपने रिटर्न में इस बात की जानकारी देगा कि उसने कितना किराया दिया। इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। लेकिन बाद वाले रिटर्न में किराएदार का जो टैक्स होगा उसमें उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी दिए हुए टैक्स का बड़ा हिस्सा वापस मिल जाएगा।
जीएसटी काउंसिल के अनुसार ज्यादातर मकान मालिक अपने किराए की इंक की जानकारी नहीं दे रहे थे। इससे अब किराएदार को भी पंजीकृत किया जाएगा। वो किराये की जानकारी देगा जिसका फायदा उसे रिटर्न में होगा। इससे किराए में होने वाली टैक्स की चोरी रुकेगी।
- अगर प्रॉपर्टी का मालिक जीएसटी में पंजीकृत है और किराएदार जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो भी प्रॉपर्टी का मालिक किराए पर 18% जीएसटी जोड़कर वसूल करेगा।
- अगर किराएदार जीएसटी में रजिस्टर है और प्रॉपर्टी का मालिक जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म अर्थात् किराएदार किराया तो मकान मालिक को देगा, लेकिन उस पर जीएसटी सरकार को जमा करेगा।
- यदि किराएदार रजिस्टर्ड नहीं है और प्रॉपर्टी का मालिक भी रजिस्टर्ड नहीं है तो ऐसी स्थिति में जीएसटी लागू नहीं होगा यानी ऐसे किराए पर जीएसटी नहीं लगेगा।
- कोई मकान स्वयं के रहने के लिए किराए पर लिया गया है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। लेकिन मकान अपने स्टाफ के रहने या कंपनी अपने डायरेक्टर के रुकने के लिए ले रही है और कंपनी जो किराया दे रही है और जीएसटी में रजिस्टर है तो रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म के अंतर्गत किराए पर 18% जीएसटी सीधे सरकार को जमा करना होगा।
- कमर्शियल प्रॉपर्टी फॉर कमर्शियल पर्पज के लिए किराए पर देना जैसे फैक्ट्री, दुकान, गोदाम आदि।
- रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी फॉर रेजिडेंशियल पर्पज के लिए किराए पर देना। यानी मकान, बंगला, फ्लैट।
- प्रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी फॉर कमर्शियल पर्पज के लिए किराए पर देना जैसे ऑफिस, मकान या फ्लैट।