संसद के आगामी सत्र से पहले देश की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। विपक्षी दलों ने महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार का सत्र काफी गरम और टकराव भरा रहने वाला है।
विपक्ष ने बढ़ाई सरकार की चिंता
विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने दिल्ली में एक संयुक्त बैठक कर संसद सत्र की रणनीति पर चर्चा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि संसद के अंदर और बाहर, जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार को जवाबदेह ठहराया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि महंगाई और बेरोजगारी पर सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा —
“रसोई गैस, दालें और पेट्रोल के दाम बढ़ते जा रहे हैं, और सरकार केवल वादे कर रही है।”
महंगाई और बेरोजगारी पर बड़ा मुद्दा
देश में लगातार बढ़ती महंगाई आम जनता की जेब पर भारी पड़ रही है। खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में वृद्धि ने मध्यम वर्ग और गरीब तबके की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं, बेरोजगारी दर भी कई राज्यों में चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। युवाओं के लिए नए रोजगार अवसरों की कमी को लेकर विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा है।
संसद सत्र में गरम बहस के आसार
सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष की योजना है कि संसद के पहले ही दिन महंगाई और बेरोजगारी पर बहस की मांग की जाएगी।कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा और जवाब दे। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से सुधार कर रही है और सरकार जनहित की योजनाओं पर लगातार काम कर रही है।
सरकार की तैयारी भी पूरी
केंद्र सरकार की ओर से संकेत मिले हैं कि वह विपक्ष के सवालों का तथ्यों और डेटा के साथ जवाब देगी। सरकार यह बताने की तैयारी में है कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए राशन सब्सिडी, LPG स्कीम और रोजगार योजनाएं पहले से चल रही हैं। सरकारी सूत्रों का दावा है कि “आने वाले महीनों में रोजगार के नए अवसर” शुरू किए जाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि संसद सत्र का यह दौर लोकसभा चुनाव से पहले का सबसे अहम सत्र साबित हो सकता है। हर पार्टी अपने जनसमर्थन को मजबूत करने की कोशिश करेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सत्र सिर्फ बहस का नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का मैदान भी बनेगा। संसद सत्र से पहले ही देश की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है।विपक्ष महंगाई और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की रणनीति में जुट गया है , जबकि सरकार विकास और जनकल्याण योजनाओं के दम पर जवाब देने की तैयारी में है। अब देखना यह होगा कि संसद में यह टकराव बहस में बदलता है या टकराव में।