भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी फॉरवर्ड बुक में छह महीनों बाद फिर से वृद्धि दर्ज की है। सितंबर 2025 में RBI के डॉलर शॉर्ट फॉरवर्ड्स $6 बिलियन बढ़े, जो कि मुद्रा बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
क्या है मामला?
पिछले कुछ महीनों से रुपये पर वैश्विक डॉलर मजबूती और विदेशी निवेश में गिरावट का दबाव बना हुआ था। इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने के लिए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के माध्यम से अपनी डॉलर स्थिति को मजबूत किया है।
$6 बिलियन की बढ़ोतरी — क्यों अहम है यह कदम
सितंबर में RBI ने अपनी डॉलर शॉर्ट फॉरवर्ड पोजीशन को $6 बिलियन तक बढ़ाया, जिससे रुपये की गिरावट पर अंकुश लगाने में मदद मिली। इस कदम के बाद बाजार में डॉलर की आपूर्ति बढ़ी है, जिससे रुपये की स्थिरता और विदेशी निवेशकों का विश्वास बना रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, RBI की यह रणनीति मुद्रा की अस्थिरता को नियंत्रित करने और विदेशी भंडार के दबाव को कम करने में कारगर साबित हो सकती है।
RBI की नीति: स्थिरता पर फोकस
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकता रुपये की अत्यधिक अस्थिरता को रोकना है, न कि उसे किसी खास स्तर पर स्थिर रखना। बाजार सूत्रों का कहना है कि RBI स्पॉट और फॉरवर्ड मार्केट दोनों में सक्रिय है ताकि विदेशी मुद्रा बाजार में किसी तरह की घबराहट न फैले।
रुपये पर क्या असर पड़ा
अक्टूबर के अंत तक रुपया 83.10 से 83.25 के दायरे में बना रहा। फॉरवर्ड बुक में बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि RBI अब दीर्घकालिक मुद्रा स्थिरता की दिशा में काम कर रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में सुधार और निर्यात क्षेत्र में रिकवरी से भी रुपये को मजबूती मिल सकती है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि RBI का यह कदम भविष्य में डॉलर की अधिकता से जुड़े जोखिमों को घटाने और विनिमय दर में संतुलन बनाए रखने की दिशा में बेहद अहम है। कोटक सिक्योरिटीज और एचडीएफसी बैंक के विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में RBI इसी नीति को जारी रख सकता है।








