घरेलू शेयर बाजार में छह से 10 जनवरी के दौरान घरेलू साप्ताहिक आधार पर दो प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट रही है। इस सप्ताह बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 1,844.2 अंक लुढ़का है। इसी तरह, एनएसई के निफ्टी में 573.25 अंक की कमी आई है। कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन भी सेंसेक्स लगातार तीसरे दिन 241.30 अंक गिरकर 77,378.91 के स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स में 820 अंक तक की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, निफ्टी 95 अंक की गिरावट के साथ 23,431.50 अंक पर बंद हुआ।
घरेलू बाजारों में बीते तीन सत्रों से जारी गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में 12.07 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। इस गिरावट के बाद बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण घटकर 429.67 लाख करोड़ रुपये या पांच ट्रिलियन डॉलर रह गया है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण घरेलू बाजार की धारणा सुस्त रही है। तीसरी तिमाही के नतीजों की सकारात्मक शुरुआत के बाद आईटी सेक्टर के लचीलेपन के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उच्च मूल्यांकन के कारण व्यापक सूचकांकों में गिरावट आई है। बाजारों में निकट भविष्य में गिरावट जारी रह सकती है।
अमेरिकी मुद्रा और विदेशी फंड हाउस द्वारा पैसा निकाले जाने के दबाव को सहन करने में शुक्रवार को रुपया नाकाम रहा और पहली बार 14 पैसे गिरकर अब तक के सर्वकालिक निचले स्तर 86.00 पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेश में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू इक्विटी बाजारों में नकारात्मक धारणा ने भी भारतीय मुद्रा को कमजोर किया। इतना ही नहीं, 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद नए अमेरिकी प्रशासन द्वारा उठाए जाने वाले प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों की आशंका के बीच डॉलर की मांग बढ़ने से भी अमेरिकी मुद्रा मजबूत हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 85.88 पर खुला और दिन के सर्वकालिक उच्चस्तर 85.85 को छूने के बाद डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 86.00 पर बंद हुआ। गुरुवार को रुपया डालर के मुकाबले पांच पैसे बढ़कर 85.86 पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र में 17 पैसे की भारी गिरावट से उबरा था। मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट