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मणिपुर में राज्यपाल के घर पर पथराव:20 लोग घायल, सुरक्षाकर्मी जान बचाकर भागे; स्टूडेंट्स इस्तीफे की मांग को लेकर कल से प्रदर्शन कर रहे

मणिपुर में राज्यपाल और DGP के इस्तीफे की मांग कर रहे स्टूडेंट्स का प्रदर्शन सोमवार को हिंसक हो गया। सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने राजभवन के मुख्य दरवाजे पर पत्थर फेंके। इस दौरान मौजूद सुरक्षाकर्मी अपनी जान बचाकर वहां से भागते दिखे। इस हमले में 20 लोग जख्मी हुए हैं।

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राज्य में बढ़ती हिंसक घटनाओं और बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर 8 सितंबर से ही छात्र सड़कों पर हैं। रविवार को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए।

पुलिस और सुरक्षाबलों ने उन्हें बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे। प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। उन्होंने कहा- ड्रोन हमलों को रोकने में सरकार और पुलिस विफल रही है। प्रदर्शनकारी राज्यपाल के अलावा DGP, सुरक्षा सलाहकार और 50 विधायकों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। बीते 7 दिनों से हिंसा बढ़ गई है। इसमें 8 लोगों की मौत हुई है। 15 से ज्यादा घायल हैं। हाल ही में मणिपुर में ड्रोन से भी हमले हुए हैं। इनमें 2 लोगों की मौत हुई है।

स्टूडेंट्स ने सोमवार सुबह दूसरे दिन भी प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस से उनकी झड़प भी हुई।
स्टूडेंट्स ने सोमवार सुबह दूसरे दिन भी प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस से उनकी झड़प भी हुई।
मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU) के छात्रों ने इंफाल में CRPF के काफिले पर पथराव किया।
मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU) के छात्रों ने इंफाल में CRPF के काफिले पर पथराव किया।
हाथों में मशाल लेकर निकले लोगों ने प्रशासन और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की।
हाथों में मशाल लेकर निकले लोगों ने प्रशासन और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की।
मार्च के दौरान महिलाओं ने DGP को हटाने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
मार्च के दौरान महिलाओं ने DGP को हटाने की मांग को लेकर नारेबाजी की।

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं…

 एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।

 इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ​​​​​​ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की।

 मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे।

 पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई।

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया। मणिपुर के आईजी (इंटेलिजेंस) के. कबीब ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि एक मजबूत एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। सीनियर पुलिस अफसर ग्राउंड पर उतारे गए हैं। आर्मी के हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई पेट्रोलिंग जारी है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं।

 सीएम बीरेन सिंह ने गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को 8 सूत्रीय मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इसमें संविधान के अनुसार राज्य सरकार को पावर और जिम्मेदारियां देने की बात कही गई है। साथ ही CM ने कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस  समझौते को रद्द करने की मांग की है, ताकि सिक्योरिटी फोर्सेज पूरी ताकत से कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स  की प्रक्रिया शुरू करने और सभी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की भी बात कही गई है। मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

 मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

 बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

 मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अगले छह महीने में राज्य में शांति बहाल करने का दावा किया है। उन्होंने CM पद से इस्तीफे की आशंका को लेकर कहा, ‘इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है। मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? कोई घोटाला किया है?’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर नहीं जाने के सवाल पर कहा कि तनाव के बीच उनका आना जरूरी नहीं था।

 

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