भारत के Supereme Court ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर भटकने वाले पशुओं, विशेषकर गाय और भैंसों, को तुरंत हटाने के लिए विशेष पेट्रोलिंग टीम और आश्रय-गृह (shelter homes) की व्यवस्था करें। यह फैसला सड़क सुरक्षा, मानव जीवन की रक्षा और पशु कल्याण — तीनों के हित में लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा — “राजमार्गों पर भटकते मवेशी सड़क हादसों की बड़ी वजह बनते हैं। यह न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि यह राज्यों की प्रशासनिक लापरवाही को भी दर्शाते हैं।”
कोर्ट ने राज्यों से पूछा कि आखिर इतने वर्षों बाद भी मवेशियों को सुरक्षित रखने और उन्हें सड़कों से दूर रखने के लिए व्यवस्थित योजना क्यों नहीं बनाई गई।
सड़क सुरक्षा को लेकर चिंता:
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 5,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएँ पशुओं के अचानक सड़क पर आने से होती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि सड़क सुरक्षा नीति में पशु नियंत्रण को भी शामिल किया जाए।
राज्यों को मिले निर्देश:
कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य: हर जिले में विशेष पेट्रोलिंग टीम बनाएं जो 24 घंटे राजमार्गों पर निगरानी रखे। भटकते पशुओं को सुरक्षित आश्रय-गृहों में पहुँचाने की व्यवस्था करें। पशु मालिकों की पहचान के लिए पशुओं पर टैगिंग सिस्टम लागू करें। पशु कल्याण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन को मिलकर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।
केंद्र सरकार से जवाब तलब:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि क्या राष्ट्रीय पशु सुरक्षा नीति में राजमार्गों के लिए कोई विशेष प्रावधान जोड़े जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि “गाय और भैंस जैसे मवेशी भारत की संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं, लेकिन सड़कों पर उनकी उपस्थिति मानव जीवन के लिए खतरा बन रही है।”








