छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विकास सामने आया है। हाल ही में आत्मसमर्पण करने वाले एक पूर्व नक्सली नेता ने अपने साथी कैडर से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। राज्य पुलिस के सामने सरेंडर करने के बाद उन्होंने कहा कि नक्सल आंदोलन अब दिशा खो चुका है और निर्दोष लोगों की जान लेकर कोई भी क्रांति संभव नहीं। पूर्व नक्सली नेता, जो कई वर्षों तक संगठन में सक्रिय रहा, ने सुरक्षा बलों और सरकार की पुनर्वास नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि अब समय है कि जंगलों में छिपे सभी साथी हथियार डालकर शांतिपूर्ण जीवन अपनाएँ। उन्होंने बताया कि संगठन अब युवाओं को गुमराह कर रहा है और स्थानीय आदिवासियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
सरेंडर के बाद उन्हें राज्य सरकार की नीति के तहत पुनर्वास लाभ दिए गए हैं, जिनमें वित्तीय सहायता और सुरक्षित आवास की सुविधा शामिल है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह अपील अन्य नक्सलियों को भी प्रभावित कर सकती है और क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में कई नक्सली नेता सरेंडर कर चुके हैं, जिससे हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। सुरक्षा बलों का मानना है कि आत्मसमर्पण कर चुके नेताओं के संदेश का प्रभाव सीधे जंगलों में छिपे कैडर पर पड़ता है और यह बदलाव की गति को और तेज कर सकता है।
क्षेत्र में शांति और विकास के प्रयासों को मजबूत करने के लिए प्रशासन लगातार नक्सल प्रभावित गाँवों में संपर्क अभियान चला रहा है, और आत्मसमर्पण किए नेता की यह अपील उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।








