देश के सबसे प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों में से एक Tata Group के अंदर हाल ही में आंतरिक कलह (Internal Conflict) की खबरें सामने आई हैं। सूत्रों के अनुसार, ग्रुप की बोर्ड मीटिंग के दौरान भागीदारी और नियंत्रण को लेकर मतभेद खुलकर सामने आए हैं, जिससे कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में तनाव बढ़ गया है।
बोर्ड मीटिंग में उठे सवाल
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में हुई Tata Group की एक महत्वपूर्ण बोर्ड बैठक में कई वरिष्ठ सदस्यों ने निर्णय प्रक्रिया और नियंत्रण को लेकर आपत्ति जताई। कई सदस्यों ने कहा कि समूह की बड़ी नीतिगत योजनाओं और निवेश निर्णयों में पारदर्शिता की कमी है।
एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक —
“कुछ निदेशकों को लगता है कि निर्णय लेने की शक्ति कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित हो गई है, जिससे समूह की एकता और विश्वास पर असर पड़ रहा है।”
नेतृत्व पर उठे सवाल
रिपोर्ट्स के अनुसार, Tata Sons और इसकी प्रमुख कंपनियों के बीच संवेदनशील रणनीतिक निर्णयों को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर समूह की ओर से किसी भी “विवाद या असहमति” की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि आंतरिक संचार में तनाव बढ़ा है।
इतिहास में भी रही टकराव की छाया
Tata Group में इससे पहले भी 2016 में साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच विवाद ने सुर्खियाँ बटोरी थीं। अब एक बार फिर अंदरूनी मतभेद की खबरों ने उद्योग जगत का ध्यान आकर्षित किया है।
एक विशेषज्ञ का कहना है —
“Tata Group जैसे बड़े कॉन्ग्लोमरेट में विचारों का मतभेद सामान्य है, लेकिन जब यह सार्वजनिक होता है, तो निवेशकों का भरोसा प्रभावित होता है।”
निवेशकों की चिंता
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि यह विवाद आगे बढ़ता है, तो इसका असर Tata Group की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ सकता है। फिलहाल निवेशक स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और ग्रुप के आधिकारिक बयान का इंतज़ार कर रहे हैं।
समूह की प्रतिक्रिया
Tata Group के प्रवक्ता ने कहा है कि संगठन के भीतर “कोई गंभीर विवाद नहीं है”, बल्कि यह सामान्य चर्चा का हिस्सा है।
उन्होंने कहा — “Tata Group हमेशा से विचार-विमर्श और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देता आया है। सभी निर्णय समूह के दीर्घकालिक हित को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।”








