विश्व अर्थव्यवस्था में अस्थिरता एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही है। ब्रिटेन में ऊर्जा बिलों (Energy Bills) में बढ़ोतरी और अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल मच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों घटनाओं का असर न सिर्फ घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बल्कि वैश्विक व्यापार संतुलन और निवेश माहौल पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।
ब्रिटेन में ऊर्जा बिल बढ़े — महंगाई पर नया दबाव
ब्रिटेन की ऊर्जा नियामक संस्था ने Energy Price Cap में बढ़ोतरी की घोषणा की है। इसके बाद औसत उपभोक्ताओं के वार्षिक ऊर्जा बिलों में £35 (लगभग ₹3,500) तक का इज़ाफ़ा हुआ है। इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण हैं —
- वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
- यूरोप में गैस की सप्लाई में कमी
- ऊर्जा कंपनियों की बढ़ती परिचालन लागत
सरकार ने राहत के तौर पर निम्न-आय वर्ग के उपभोक्ताओं को ऊर्जा सब्सिडी और टैक्स राहत देने का भरोसा दिया है, लेकिन उपभोक्ताओं में चिंता बनी हुई है।
अमेरिका ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ — व्यापार युद्ध की आहट
दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह फैसला अमेरिका के “Make in America” अभियान को मजबूत करने के लिए लिया गया है।
टैरिफ का असर निम्न क्षेत्रों पर पड़ेगा —
- भारतीय टेक्सटाइल और फार्मा उद्योग
- ऑटो कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात
- स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों की बिक्री
इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है और दोनों देशों के बीच मूल्य-आधारित प्रतिस्पर्धा और कठिन हो जाएगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
विश्लेषकों का कहना है कि ये दोनों घटनाएं — ब्रिटेन की ऊर्जा मूल्य वृद्धि और अमेरिका के टैरिफ निर्णय — वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को हिला सकती हैं।
संभावित प्रभाव
- ऊर्जा बाजारों में अस्थिरता
- व्यापारिक साझेदारियों में पुनर्गठन
- निवेशकों का भरोसा घटने की संभावना
- विकासशील देशों में महंगाई और लागत में वृद्धि
विश्व बैंक और IMF ने चेतावनी दी है कि अगर ये नीतियाँ जारी रहीं, तो 2026 तक वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में 0.3% की गिरावट हो सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया और तैयारी
भारत सरकार ने कहा है कि वह WTO (विश्व व्यापार संगठन) के माध्यम से इस मामले को उठाएगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा —
“भारत अपनी व्यापारिक नीतियों को न्यायसंगत और वैश्विक मानकों के अनुरूप रखेगा। हम अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों की समीक्षा कर रहे हैं।” भारत घरेलू उत्पादन बढ़ाने और वैकल्पिक निर्यात बाजारों की तलाश में भी जुट गया है, ताकि अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम की जा सके।








