उत्तर भारत के शहरों में खासतौर पर इस वक्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में लोग घरों में वाटर हीटर का भी इस्तेमाल करना शुरू कर चुके हैं। क्योंकि, चाहे रोजाना के कामों के लिए गर्म पानी की जरूरत पड़ती है। हालांकि, आप अगर अभी तक वाटर हीटर या गीजर के यूजर नहीं हैं और नया वाटर हीटर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं। तो हम यहां आपको इंस्टैंट वाटर हीटर और स्टोरेज वाटर हीटर के बारे में अंतर बताने जा रहे हैं।
साथ ही ये भी बताने जा रहे हैं कि कौन सा हीटर बाथरूम के लिए और कौन सा किचन के लिए काम आता है। इंस्टैंट वॉटर हीटर (जिसे टैंकलेस वॉटर हीटर भी कहा जाता है) और टैंक या स्टोरेज वाटर हीटर के बीच मुख्य अंतर उनके पानी के गर्म करने और उसे स्टोर करने के तरीके में होता है। आइए जानते हैं क्या हैं मुख्य अंतर।
- इंस्टैंट वॉटर हीटर: यूनिट के जरिए फ्लो होने वाले पानी को डिमांड के हिसाब से गर्म करता है, जो एक हाई-पावर्ड हीटिंग एलिमेंट (इलेक्ट्रिक या गैस) का इस्तेमाल करता है। यह गर्म पानी को स्टोर नहीं करता है।
- टैंक वाटर हीटर: एक टैंक में पानी की एक बड़ी मात्रा (जैसे, 30-50 गैलन) को पहले से गर्म करके स्टोर करता है, ताकि ज़रूरत पड़ने तक इसे गर्म रखा जा सके।
- इंस्टैंट वाटर हीटर: ये ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट होते हैं क्योंकि यह केवल जरूरत पड़ने पर ही पानी गर्म करते हैं, जिससे स्टैंडबाय हीट लॉस (संग्रहीत पानी के तापमान को बनाए रखने में बर्बाद होने वाली एनर्जी) को खत्म किया जा सकता है।
- टैंक वाटर हीटर: स्टैंडबाय हीट लॉस के कारण कम एनर्जी एफिशिएंट होते हैं। क्योंकि, उपयोग में न होने पर भी टैंक में पानी को गर्म रखने के लिए एनर्जी का लगातार इस्तेमाल किया जाता है।
- इंस्टैंट वाटर हीटर: ये गर्म पानी की लगातार सप्लाई देता है, लेकिन इसकी फ्लो रेट लिमिट होती है। जब तक एक बड़ी यूनिट या कई यूनिट्स इंस्टॉल नहीं की जाती हैं, तब तक यह एक ही समय में कई फिक्स्चर (जैसे, शॉवर और डिशवॉशर) की मांग को पूरा करने में संघर्ष कर सकता है। हालांकि, किचन के लिए ये बेहतर होते हैं, जहां लगातार गर्म पानी की जरूरत किसी एक समय पर पड़ सकती है।
- टैंक वाटर हीटर: इस में गर्म पानी की सप्लाई टैंक की क्षमता तक सीमित होती है। एक बार जब गर्म पानी खत्म हो जाता है, तो आपको टैंक को फिर से भरने और गर्म करने का इंतज़ार करना पड़ता है।