सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। धार्मिक मत है कि प्रदोष व्रत करने से साधक को मनचाहा वर मिलता है और महादेव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?
- प्रदोष व्रत महादेव को समर्पित है।
- इस दिन पूजा संध्याकाल में होती है।
- उपासना के दौरान शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
सनातन धर्म में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव की उपासना करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर आप भी महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा का पाठ करें। इसका पाठ करने से जातक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।