कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशानंद ने सुनवाई के दौरान किए गए विवादित कमेंट्स पर खेद जताया है। शनिवार को कोर्ट प्रोसीडिंग के दौरान उन्होंने कहा कि कमेंट्स को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत ढंग से दिखाया गया है।
जब जस्टिस श्रीशानंद यह मैसेज पढ़ रहे थे तब एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु (एएबी) के कुछ सद
स्य भी मौजूद थे। वकीलों के मुताबिक जज ने भविष्य में दोबारा ऐसा न करने का आश्वासन दिया है।
दरअसल, जस्टिस श्रीशानंद के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। एक में वे पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम इलाके को पाकिस्तान कहते दिखे। दूसरे में महिला वकील को फटकार लगाते नजर आए थे।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस श्रीशानंद ने शनिवार 21 सितंबर को एडवोकेट एसोसिएशन बेंगलुरु और बार एसोसिएशन सीनियर वकीलों को बुलाया और कमेंट्स पर खेद जताते हुए एक नोट पढ़ा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी ने कहा कि उन्हें अपनी टिप्पणियों पर खेद है और उन्होंने हमसे कहा कि हम बार के सभी सदस्यों को यह बात बता दें।
एक वकील ने बताया कि जस्टिस श्रीशनंद ने वकीलों से अपना संदेश महिला वकील तक पहुंचाने को भी कहा। जस्टिस श्रीशानंद ने यह भी कहा है कि वे भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
वीडियो सामने आने के बाद 20 सितंबर को CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से 2 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी मदद मांगी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ बेसिक गाइडलाइन जारी की जा सकती हैं।
यूट्यूब चैनल से वीडियो क्लिप वायरल होने के एक दिन बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने से आधा घंटे पहले एक डिस्क्लेमर दिया। इसमें बिना परमिशन वीडियो रिकॉर्ड करने पर रोक लगा दी गई है। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मैसेज में कहा गया है- कोई भी व्यक्ति, संस्था, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाइव-स्ट्रीम की गई कार्यवाही को रिकॉर्ड, शेयर या पब्लिश नहीं करेगा। इसके लिए पहले से परमिशन लेनी होगी।
जस्टिस श्रीशानंद दूसरे वीडियो में वे एक महिला वकील को फटकार लगाते नजर आ रहे हैं। जस्टिस श्रीशानंद ने महिला वकील से कहा कि वह दूसरे पक्ष के बारे में बहुत कुछ जानती हैं। हो सकता है अगली बार वे उसके अंडरगारमेंट का रंग भी बता दें।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन से कहा कि राजनीति में आप संवेदनशील नहीं हो सकते। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने 19 सितंबर की सुनवाई के दौरान मुरुगन के वकील ने कहा, ‘इस मामले में मानहानि का सवाल ही कहां है?’ ट्रस्ट के वकील ने मामले में स्थगन की मांग की थी। ट्रस्ट के वकील की अपील पर मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी। कोर्ट ने मुरासोली ट्रस्ट से भी जवाब मांगा था।