सेहतमंद रहने के लिए शरीर के सभी अंगों का हेल्दी रहना जरूरी है। ब्रेन हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक है जो हमारे शरीर के सभी फंक्शन को कंट्रोल करता है। ऐसे में हेल्दी रहने के लिए दिमाग का हेल्दी रहना बेहद जरूरी है। हालांकि बढ़ती उम्र के साथ अक्सर ब्रेन हेल्थ कमजोर होने लगती है। इसके लिए आप कुछ टिप्स फॉलो कर सकते हैं।
- Brain हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक है।
- यह हमारे शरीर के सभी फंक्शन को कंट्रोल करता है।
- ऐसे में हेल्दी लाइफ के लिए Brain Health अच्छी होना बहुत जरूरी है।
ब्रेन हमारे शरीर का वो अहम हिस्सा है, जो हमारे शरीर को पूरी तरह से कंट्रोल करता है। हम जो भी करते हैं, उसके पीछे हमारे ब्रेन फंक्शन का अहम योगदान होता है। हमारी हर गतिविधि के पीछे ब्रेन का हाथ होता है, फिर वो चाहे यादें बनाना हो या फिर फोकस के साथ हर दिन के चैलेंज को पूरा करना। ब्रेन हमारे अनुभवों को आकार देता है, हमारे सभी मूवमेंट को कंट्रोल करता है और हमारे इमोशंस और विचारों को मैनेज करता है। ऐसे में एक स्वस्थ जीवन के लिए ब्रेन का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है।
ब्रेन हेल्थ काफी हद तक हाइड्रेशन,नींद और उम्र से प्रभावित होता है। बढ़ती उम्र के साथ हमारी मेंटल हेल्थ प्रभावित होने लगती है। 40 के आसपास आने के बाद हमारी ब्रेन हेल्थ प्रभावित होना शुरू हो जाती है। किसी इन्फॉर्मेशन को याद रखने में दिक्कत होती है, न्यूरोजेनरेटिव बीमारियां शुरू होने का डर बना रहता है, अल्जाइमर्स होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में अपनी को बनाए रखने के लिए आप निम्न टिप्स को अपना सकते हैं।
एक्सरसाइज एक ऐसी एक्टिविटी है, जो न्यूरोजेनेसिस (नए ब्रेन सेल बनने) की प्रक्रिया को प्रमोट करता है। साथ ही ये मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाता है। इससे सिनैप्स की फंक्शनिंग में सुधार आता है। इसके अलावा वर्कआउट करने से ब्रेन के होता है, जिससे इसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है और ये इसे एजिंग से बचाता है।
फेवरेट या थ्रोबैक ऐसे गाने सुनें, जिसे सुनकर आपको खुशी मिलती है। म्यूजिक ब्रेन के न्यूरल पाथवे को इंस्टेंट तरीके से सक्रिय करता है, जिससे ब्रेन की सामान्य फंक्शनिंग में सुधार होता है।
रिसर्च के अनुसार सोशली इंगेज रहने से दिमाग एक्टिव बना रहता है और नर्व सेल और ब्रेन के बीच कनेक्शन को मजबूत बनाता है।क्रॉसवर्ड पजल या सुडोकू जैसे ब्रेन गेम्स खेलने से ब्रेन के न्यूरल कनेक्शन और साथ ही इसकी प्लास्टिसिटी बढ़ती है।
ब्रेन का वो सिस्टम जो ब्रेन से टॉक्सिन निकालता है, वो सोते समय सबसे अधिक सक्रिय रहता है। सोने से ब्रेन से टॉक्सिन फ्लश होते हैं, हार्मोनल संतुलन बना रहता है, मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और अनावश्यक क्रेविंग नहीं होती है और लिवर डिटॉक्स की प्रक्रिया को भी सपोर्ट मिलता है।