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आम पटाखों से किस तरह अलग हैं Green Crackers, कैसे करें असली और नकली की पहचान

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिंथेटिक पटाखों  की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजार में कुछ लोग अभी भी चोरी-छिपे इन पटाखों को बेच रहे हैं? जी हां ऐसे में अगर आप भी इस दीवाली  ग्रीन पटाखे  खरीदना चाहते हैं तो आपको असली और नकली पटाखों में अंतर करना मालूम होना चाहिए।

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  1. पटाखों की गूंज के बिना कई लोग दीपावली के त्योहार को अधूरा मानते हैं।
  2. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सिंथेटिक पटाखों की बिक्री पर पाबंदी है।
  3. ग्रीन पटाखे खरीदने से पहले असली और नकली की पहचान करना जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट  के आदेश के बाद सिंथेटिक पटाखों का उत्पादन और बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बता दें, इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे में हर साल त्योहारों के मौसम में, खासतौर से दीवाली  को देखते हुए कई कंपनियां ग्रीन पटाखे  लेकर आती हैं क्योंकि इन्हें बनाने और बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों के लिए ग्रीन पटाखे  एक बेहतर विकल्प हैं। ये आम पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं और सेहत के लिए भी कम हानिकारक होते हैं, लेकिन बाजार में कई तरह के ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ असली और कुछ नकली हो सकते हैं। नकली ग्रीन पटाखे सिंथेटिक पदार्थों से बने होते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही आपकी सेहत के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करते हैं। इसलिए, ग्रीन पटाखे खरीदते समय आपको असली और नकली में अंतर करना आना चाहिए। आइए विस्तार से समझते हैं इसके बारे में।

ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों का एक मॉडर्न और ईको-फ्रेंडली ऑप्शन है। ये पटाखे वातावरण में कम प्रदूषण फैलाते हैं और इन्हें जलाने पर शोर भी कम होता है। काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च  द्वारा विकसित इन पटाखों में पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषक होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो हवा में कम काला धुआं निकलता है। बता दें, भारत में इस तरह के तीन कैटेगरी में मिलते हैं जिनके नाम हैं स्वास, स्टार और सफल।

ग्रीन पटाखे सेहत और पर्यावरण, दोनों के लिए एक सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। ये सिंथेटिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। ग्रीन पटाखे में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ हवा को कम प्रदूषित करते हैं और आसपास की धूल को सोख लेते हैं। इसके अलावा, ग्रीन पटाखे कम शोर करते हैं जिससे कान की समस्याओं का खतरा कम होता है। दूसरी ओर, सिंथेटिक पटाखे हवा में जहरीले तत्व छोड़ते हैं, धूल उड़ाते हैं और  भी पहुंचा सकते हैं।

ये पटाखे धूल को सोख लेते हैं और उसे भाप में बदल देते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है।

इनमें एल्युमिनियम की सुरक्षित मात्रा होती है जो कम आवाज पैदा करती है और सिंथेटिक पटाखों से बेहतर होती है।

इनमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होता, जिससे धुआं और अन्य हानिकारक कण निकलने की संभावना बहुत कम होती है।

ग्रीन पटाखों की पहचान करना आज काफी आसान है! हर ग्रीन पटाखे पर सीएसआईआर नीरी का लोगो लगा होता है। इस लोगो को स्कैन करने के लिए आपको बस Google Play Store से CSIR NEERI का ग्रीन क्यूआर कोड ऐप डाउनलोड करना है। इस ऐप से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि कौन-सा पटाखा वाकई में ग्रीन पटाखा है और कौन-सा ।

असली ग्रीन पटाखे खरीदते समय आपको थोड़ा सावधान रहने की जरूरत होती है। ऐसे में, हमेशा लाइसेंस प्राप्त दुकान से ही पटाखे खरीदें। ये दुकानें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं और इनमें बेचे जाने वाले ग्रीन पटाखे सरकार द्वारा निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हैं। इन दुकानों में आपको नकली या घटिया किस्म के पटाखे नहीं मिलेंगे।

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