कभी बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में बाहुबली (Bahubali Leaders) केवल दूसरों के राजनीतिक फायदे के लिए बंदूक उठाते थे। उनकी ताकत का इस्तेमाल कर कई नेता विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचे। लेकिन वक्त के साथ हालात बदले और इन बाहुबलियों ने खुद राजनीति में उतरने का फैसला किया। उन्होंने महसूस किया कि जब वे दूसरों को चुनाव जीताकर सदन भेज सकते हैं, तो क्यों न खुद भी निर्दलीय चुनाव (Independent Candidate) लड़कर राजनीति में जगह बनाएं।
इसी सोच के तहत बिहार के कई बाहुबलियों ने बिना किसी राजनीतिक दल पर निर्भर रहे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और पहली बार ही जीत दर्ज कर सदन पहुंचे।
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का उदय
1970 के दशक से शुरू हुए इस सिलसिले में कई बड़े नाम सामने आए। वीर महोबिया, वीर बहादुर सिंह, प्रभुनाथ सिंह, सूरजभान सिंह, पप्पू यादव, राजन तिवारी और मुन्ना शुक्ला जैसे नेताओं ने अपनी पहली जीत निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हासिल की। इसके अलावा लोकसभा में काली पांडेय और विधान परिषद में रीतलाल यादव ने भी निर्दलीय जीत के साथ राजनीति की शुरुआत की।
पप्पू यादव (Rajesh Ranjan alias Pappu Yadav)
1990 के दशक में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का नाम तेजी से बिहार के बाहुबलियों में उभरा। उन्होंने कम उम्र में ही कोसी और सीमांचल में अपनी पकड़ बना ली थी।
- 1990 में महज 23 साल की उम्र में पप्पू यादव ने मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा।
- 1991 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्णिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बड़ी जीत दर्ज की।
- इस जीत के बाद कोसी क्षेत्र में उनका प्रभाव और बढ़ गया।
- आज भी पप्पू यादव निर्दलीय सांसद के रूप में सक्रिय हैं।
सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh)
साल 2000 में जब कई बाहुबलियों ने निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा में जगह बनाई, तब सबसे चर्चित नाम सूरजभान सिंह का रहा।
- उन्होंने मोकामा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा।
- इस चुनाव में उन्होंने राबड़ी सरकार के मंत्री और बाहुबली अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को हराकर बड़ा उलटफेर किया।
- उनकी यह जीत लंबे समय तक चर्चा में रही।
मुन्ना शुक्ला (Munna Shukla)
वैशाली-मुजफ्फरपुर के बाहुबली विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला ने भी अपनी राजनीतिक यात्रा निर्दलीय चुनाव से शुरू की।
- अपने भाई छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उन्होंने उनकी विरासत संभाली।
- वर्ष 2000 में, मुन्ना शुक्ला ने लालगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन में प्रवेश किया।
- उनकी जीत में उनके बाहुबली नेटवर्क और क्षेत्रीय समर्थन ने बड़ी भूमिका निभाई।
राजन तिवारी (Rajan Tiwari)
इसी दौर में राजन तिवारी का नाम भी तेजी से उभरा।
- उन्होंने गोविंदगंज सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।
- इस चुनाव में उन्होंने मौजूदा विधायक भूपेन्द्र नाथ दूबे को हराया।
- इस जीत के बाद वे बिहार की राजनीति में एक मजबूत बाहुबली नेता के रूप में पहचाने जाने लगे।
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की भूमिका हमेशा से अहम रही है। पहले वे दूसरों को सत्ता दिलाने का जरिया बनते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खुद ही राजनीति में उतरना शुरू किया। निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन तक पहुंचने वाले ये नेता आज भी बिहार की राजनीतिक कहानी का अहम हिस्सा बने हुए हैं।
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