छत्तीसगढ़ में दुर्गा पूजा और गरबा उत्सव के लिए प्रशासन ने नई गाइडलाइन जारी की है, ताकि लाखों श्रद्धालु और परिवार सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से त्योहार का आनंद ले सकें। राज्य के विभिन्न जिलों में होने वाले पंडालों में भीड़ और उत्सव के मद्देनजर सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। अब आयोजकों के लिए पंडाल में सीसीटीवी कैमरे, प्रवेश-निकास पॉइंट्स और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही आग, जलने या अन्य आपात स्थितियों के लिए फायर सेफ्टी उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी।
गरबा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए आयोजकों को विशेष ध्यान देना होगा। डांडिया नाइट्स और गरबा कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है। आयोजकों को संगीत, लाइटिंग और अन्य सेटअप के लिए सरकारी परमिट लेना होगा और कार्यक्रम स्थल पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित मार्ग और बैठने की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही शराब और नशे के सेवन पर कड़ाई से प्रतिबंध रहेगा।
मूर्ति विसर्जन के दौरान प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सभी इको-फ्रेंडली और क्लीन मूर्तियों का ही उपयोग किया जाएगा। विसर्जन स्थल पर सफाई और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी आयोजकों का कर्तव्य होगा। भीड़ नियंत्रण के लिए प्रवेश और निकास मार्गों का प्रबंधन करना अनिवार्य है और प्रशासन की अनुमति के बिना विसर्जन नहीं किया जा सकता। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और त्योहार की गरिमा बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।
साथ ही स्वास्थ्य और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना भी जरूरी होगा। बड़े आयोजनों में मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था अनिवार्य रहेगी और हेल्थ चेकिंग और इमरजेंसी मेडिकल टीम की सुविधा रखी जाएगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह छत्तीसगढ़ के दुर्गा पंडाल, गरबा और मूर्ति विसर्जन 2025 के लिए जारी नई गाइडलाइन सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इन नियमों का पालन करने से न सिर्फ त्योहार सुरक्षित रहेगा, बल्कि श्रद्धालुओं और आयोजकों के लिए भी आनंदमय और व्यवस्थित अनुभव सुनिश्चित होगा।