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Friday, September 26, 2025

भारतीय नौसेना को मिलने वाली है नई ताकत: 4 Amphibious Warships से बढ़ेगी समुद्री शक्ति, क्यों घातक माने जाते हैं लैंडिंग डॉक प्लेटफॉर्मभारतीय नौसेना को मिलेंगे 4 New Amphibious Warship, जानें क्यों लैंडिंग डॉक प्लेटफॉर्म कहलाते हैं सबसे घातक युद्धपोत

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भारतीय नौसेना आने वाले समय में 4 विशाल एंफीबियस वॉरशिप (Amphibious Warships) के निर्माण की योजना बना रही है। करीब 80,000 करोड़ रुपये के इस मेगा प्रोजेक्ट के टेंडर भारतीय कंपनियों को मिलने की उम्मीद है, जिसमें विदेशी कंपनियां सहयोगी की भूमिका निभा सकती हैं। इन चार नए युद्धपोतों के बेड़े में शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और समुद्र में भारत की रणनीतिक शक्ति और मजबूत होगी।

80,000 करोड़ का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय नौसेना जल्द ही चार बड़े आकार के लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) यानी उभयचर युद्धपोतों के लिए टेंडर जारी करने वाली है। रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर करीब 80,000 करोड़ रुपये की लागत आ सकती है। यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धपोत निर्माण प्रोजेक्ट माना जा रहा है। नौसेना ने अपनी आवश्यकता मंत्रालय को बता दी है और अब सिर्फ सरकार की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।

समंदर में शक्ति बढ़ाने का मिशन

नौसेना का उद्देश्य आने वाले समय में समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करना है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, नेवी को ऐसे आधुनिक LPD प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है जो फिक्स्ड-विंग नेवल ड्रोन को ऑपरेट करने की क्षमता रखते हों। ये वॉरशिप कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम करेंगे, जिन्हें तटीय अभियानों में लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके अलावा, ये घातक युद्धपोत दुश्मन की लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों और ड्रोनों के खिलाफ एयर डिफेंस सिस्टम भी मुहैया कराएंगे और जरूरत पड़ने पर जवाबी हमला करने की क्षमता भी रखेंगे।

एंफीबियस वॉरशिप क्या होते हैं?

एंफीबियस वॉरशिप या लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) विशेष प्रकार के युद्धपोत होते हैं, जिनका इस्तेमाल सैनिकों, टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और हथियारों को एक तट से दूसरे तट तक ले जाने के लिए किया जाता है। इन जहाजों पर विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन की लैंडिंग और टेक-ऑफ भी हो सकता है। यही नहीं, ये जहाज उभयचर वाहनों को ले जाने और उतारने में भी सक्षम होते हैं। इनका उपयोग उन अभियानों में सबसे ज्यादा होता है, जहां जमीनी और समुद्री दोनों तरह की लड़ाई लड़ी जानी होती है। आधुनिक दौर में ऐसे युद्धपोतों का इस्तेमाल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के रूप में भी किया जा रहा है। यह जहाज समुद्र में रहकर तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने का काम भी कर सकते हैं।

भारतीय नौसेना के मौजूदा एंफीबियस वॉरशिप

फिलहाल भारतीय नौसेना के पास कई एंफीबियस वॉरशिप मौजूद हैं। इनमें आईएनएस जलश्व, आईएनएस मगर, आईएनएस घड़ियाल, आईएनएस शरदुल, आईएनएस केसरी और आईएनएस एरावत शामिल हैं। ये जहाज भी अपनी क्षमता के दम पर नौसेना की ताकत का अहम हिस्सा हैं। अत्याधुनिक एंफीबियस वॉरशिप आज एक विमान वाहक युद्धपोत की तरह भी काम कर रहे हैं, जिन पर फाइटर जेट्स की तैनाती संभव है।

स्वदेशी रक्षा उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा फायदा भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग को होगा। चारों एंफीबियस वॉरशिप का निर्माण भारत में ही होगा। निर्माण का जिम्मा कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की और कुछ निजी कंपनियों को मिल सकता है। इनमें एल एंड टी, मझगांव डॉकयार्ड्स, कोचिन शिपयार्ड और हिंदुस्तान शिपबिल्डर्स लिमिटेड जैसी कंपनियों का नाम शामिल है। डिजाइनिंग में विदेशी कंपनियां जैसे नावान्टिया, नेवल ग्रुप और फिनकैंटिएरी साझेदार के रूप में मदद कर सकती हैं। इस तरह यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी नई ताकत देगा।

हर मिशन में काम आने वाले युद्धपोत

भारतीय नौसेना ने LPD प्रोजेक्ट को लेकर साल 2021 में ही रिक्वेस्ट ऑफ इंफॉर्मेशन जारी कर दिया था। अब इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही आगे का काम शुरू होगा। इन चार नए युद्धपोतों के आने से नौसेना की एंफीबियस वॉरफेयर क्षमता बढ़ जाएगी। ये जहाज सिर्फ जंगी अभियानों में ही नहीं, बल्कि किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में मानवीय सहायता (Humanitarian Assistance and Disaster Relief) पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका निभाएंगे। बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती, राहत सामग्री की आपूर्ति और आपातकालीन अभियानों के लिए ये वॉरशिप बेहद कारगर साबित होंगे।

साफ है कि आने वाले समय में भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है। चार नए एंफीबियस वॉरशिप न सिर्फ समुद्र में भारत की शक्ति को मजबूती देंगे, बल्कि किसी भी स्थिति में दुश्मन को करारा जवाब देने में भी सक्षम होंगे।

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