अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। ट्रंप ने हाल ही में भारत और भारतीय मूल के लोगों को लेकर ऐसे तीखे बयान दिए हैं, जिनसे विवाद खड़ा हो गया है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ट्रंप भारतीयों से क्यों खौफजदा दिखाई दे रहे हैं और क्यों उन्होंने अपने राजनीतिक विरोध को ‘Below the Belt War’ यानी मर्यादा से बाहर की लड़ाई का रूप दे दिया है।
भारतीयों की बढ़ती ताकत से ट्रंप की बेचैनी
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय मूल के लोग न केवल अमेरिका की राजनीति बल्कि टेक्नोलॉजी, बिजनेस और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, IBM और एडोबी जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान भारतीय मूल के सीईओ के हाथों में है। इसके अलावा अमेरिकी राजनीति में भी भारतीय मूल के नेताओं का प्रभाव बढ़ा है। यही वजह है कि ट्रंप का गुस्सा और उनकी बयानबाजी भारतीयों की बढ़ती ताकत से जुड़ी मानी जा रही है।
चुनावी रणनीति या डर का इजहार?
ट्रंप अपने चुनावी अभियान में अक्सर विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरते हैं। माना जा रहा है कि भारतीयों पर किए गए ये तीखे हमले भी उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। हालांकि, विरोधियों का कहना है कि ट्रंप भारतीय मूल के लोगों के प्रभाव और उनकी सफलता से डरे हुए हैं, इसलिए उन्होंने व्यक्तिगत हमलों का सहारा लिया।
‘बिलो द बेल्ट वॉर’ क्यों?
अमेरिकी राजनीति में विपक्ष पर आरोप लगाना आम बात है, लेकिन ट्रंप जिस तरह भारतीयों पर हमले कर रहे हैं, उसे विशेषज्ञ “बिलो द बेल्ट वॉर” कह रहे हैं। यानी यह एक ऐसी राजनीतिक लड़ाई है जो मुद्दों से हटकर व्यक्तिगत और असंवेदनशील बयानों पर आधारित है। विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप का यह तरीका न सिर्फ भारतीय समुदाय को आहत करता है बल्कि अमेरिका में उनकी छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों ने ट्रंप के बयानों पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि भारतीय हमेशा अमेरिका की तरक्की में योगदान देते आए हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे। कई संगठनों ने ट्रंप से माफी की मांग की है। वहीं, कुछ नेताओं का कहना है कि ट्रंप का यह बयान उनकी राजनीतिक हताशा का नतीजा है।
नतीजा क्या होगा?
ट्रंप की इस बयानबाजी से एक तरफ चुनावी बहस गर्म हो गई है, तो दूसरी तरफ भारतीय समुदाय में असंतोष भी बढ़ गया है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो यह ट्रंप के लिए उल्टा भी पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय मूल के मतदाता अमेरिका की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।