अमेरिका के Energy Minister क्रिस राइट ने पाकिस्तान में तेल रिजर्व के हालिया दावों पर संदेह जताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ऊर्जा भंडार की स्थिति पर वास्तविकता अलग हो सकती है। वहीं, भारत के साथ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की बात भी उन्होंने कही, जिसमें प्राकृतिक गैस, कोयला और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में साझेदारी शामिल है।

वॉशिंगटन: अमेरिकी Energy Minister क्रिस राइट ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका का पाकिस्तान में तेल भंडारों की खोज में फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं है। यह बयान खास महत्व रखता है क्योंकि पिछले महीने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका ने पाकिस्तान में तेल के विशाल भंडार खोजने के लिए समझौता किया है।
राइट ने ट्रंप के इस बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि पाकिस्तान में अरबों डॉलर के तेल भंडार के दावे वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने साथ ही भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने की इच्छा जताई।
ट्रंप के दावों की हवा निकली
शीर्ष खुफिया सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि राइट की टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि ट्रंप के पाकिस्तान में तेल रिजर्व के दावे राजनीतिक दिखावा अधिक थे और इनमें कोई ठोस नीति या निवेश योजना शामिल नहीं थी। राइट ने कहा कि वर्तमान में अमेरिका की सरकार या कॉर्पोरेट कंपनियों का पाकिस्तान में तेल खोज या विकास परियोजनाओं में कोई वास्तविक रुचि नहीं है।
भारत के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ
राइट के बयान से क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा पर असर पड़ता है, खासकर भारत के लिए। भारत ने हाल के वर्षों में अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रूस, अरब और अमेरिका में अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाई है। इससे पाकिस्तान की अनिश्चित तेल संभावनाओं से स्वतंत्र एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित होती है।
पाकिस्तान में तेल भंडार की वास्तविकता
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में सिद्ध तेल भंडार सीमित हैं। अन्वेषण की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और राजनीतिक अस्थिरता, उग्रवाद व आतंकवाद के कारण विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने से हिचकते हैं।
भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग पर राइट का संदेश
क्रिस राइट ने कहा कि वॉशिंगटन चाहता है कि भारत कच्चे तेल की खरीद में अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाए। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि भारत हमारे साथ काम करे। आप रूस को छोड़कर किसी से भी तेल खरीद सकते हैं।” राइट ने यह भी कहा कि भारत को रूस से रियायती कीमत पर तेल खरीदने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि अमेरिकी टैरिफ नीति यूक्रेन युद्ध के चलते है और भारत को दंडित करने का उद्देश्य नहीं है।
राइट के बयान से स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका पाकिस्तान में तेल भंडार के दावों को लेकर गंभीर नहीं है, जबकि भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना उसकी प्राथमिकता है।
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