भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने अपने वाणिज्यिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच हुई बैठक में दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया। यह कदम दोनों देशों के लिए आर्थिक वृद्धि और निवेश के नए अवसर लाने वाला माना जा रहा है।
योजना का महत्व
भारत-यूके व्यापार बढ़ाने की योजना का उद्देश्य केवल व्यापारिक लाभ तक सीमित नहीं है। यह दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग, निवेश और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देगा। यूके की कंपनियां भारत में निवेश बढ़ाएंगी, वहीं भारत के व्यवसाय और स्टार्टअप्स ब्रिटेन के बाजार में प्रवेश करेंगे।
रणनीति और मुख्य क्षेत्रों पर फोकस
उद्योग और टेक्नोलॉजी: उन्नत तकनीक और स्टार्टअप इनोवेशन में सहयोग बढ़ाना।
वित्त और बैंकिंग: निवेश और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (FinTech) के क्षेत्र में साझेदारी।
ऊर्जा और ग्रीन इन्वेस्टमेंट: हरित ऊर्जा और टिकाऊ परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा। शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट: दोनों देशों के छात्रों और पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत और यूके के बीच दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगी। व्यापार दोगुना करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, निवेश आएगा और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग भी मजबूत होगा।