Bihar Election 2025 Result– बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की नवगठित जन सुराज पार्टी के परिणाम विरोधाभासी तस्वीर पेश करते हैं। हालांकि जन सुराज पार्टी ने राज्यव्यापी वोट शेयर के मामले में सीपीआई (माले) को पीछे छोड़ दिया, लेकिन विश्लेषण से पार्टी की एक गंभीर खामी उजागर हुई है, उसने जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से लगभग एक-तिहाई पर उसे ‘नोटा’ विकल्प से भी कम वोट मिले।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) ने कुल वोट शेयर के मामले में भले ही सीपीआई (माले) को पीछे छोड़ दिया हो, लेकिन पार्टी के खराब प्रदर्शन ने एक गंभीर कमजोरी को उजागर किया है। विश्लेषण के अनुसार, जन सुराज जिन 238 सीटों पर लड़ी, उनमें से लगभग एक-तिहाई यानी 68 सीटों पर पार्टी ‘नोटा’ (इनमें से कोई नहीं) विकल्प से भी कम वोट हासिल कर पाई।
भारत निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव परिणाम के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों को प्राप्त वोट को लेकर एक आंकड़ा भी जारी किया गया है, लेकिन उस सूची में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि अन्य दलों के खाते में 14 प्रतिशत से अधिक वोट जाने का उल्लेख है ऐसे में या माना जा रहा है कि इसी 14 प्रतिशत में से प्रशांत किशोर की पार्टी को भी प्राप्त तीन प्रतिशत से अधिक वोट शामिल है।
वोट शेयर में सातवां स्थान
एक आकलन के अनुसार जन सुराज को राज्यव्यापी स्तर पर कुल वोटों का 3.44 प्रतिशत मिला, जो सीपीआई (माले) के 3.05 प्रतिशत से अधिक है। इस प्रदर्शन ने जन सुराज को वोट शेयर रैंकिंग में सातवें स्थान पर रखा।
बड़ी संख्या में ‘नोटा’ से हार
पहली बार चुनाव लड़ने वाली जन सुराज पार्टी के लिए 3.44 प्रतिशत का वोट शेयर सम्मानजनक है, लेकिन उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बेहद कमजोर रही। क्योंकि जन सुराज ने कुल 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इनमें से 68 सीटों पर मतदाताओं ने जन सुराज के उम्मीदवार को वोट देने के बजाय ‘नोटा’ को अधिक वोट दिया। यह कुल सीटों का 28.6 प्रतिशत है। इसका अर्थ है कि 10 में से 3 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं ने जन सुराज को खारिज कर दिया।
पर्याप्त वोट शेयर होने के बावजूद मतदाताओं को पक्ष में करने में असफल
इस आंकड़े ने जन सुराज को उन पार्टियों में से एक बना दिया जिसने ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन ‘नोटा’ के सामने सबसे कमजोर प्रदर्शन किया। एआईएमआईएम (14.3प्रतिशत) और वीएसआईपी (8.3प्रतिशत) का प्रदर्शन भी कमजोर रहा। लेकिन आंकड़ों के विशलेषण के आधार पर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ठोस रणनीति और पर्याप्त वोट शेयर होने के बावजूद, जन सुराज कई सीटों पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में असफल रही।
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