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Saturday, November 22, 2025

अमोनियम नाइट्रेट के साथ दिल्ली धमाकों में TATP का हुआ इस्तेमाल? जांच एजेंसियों को शक

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Delhi Blast News: दिल्ली ब्लास्ट की जांच में पता चला है कि कार धमाके में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक ट्राईएसिटोन ट्राईपरॉक्साइड (TATP) बेहद खतरनाक था। यह एक ऐसा केमिकल है जो बहुत आसानी से बन जाता है और बहुत शक्तिशाली धमाका कर सकता है।

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जांचकर्ताओं को शक है कि इस धमाके में ‘मदर ऑफ सैटन’ कहे जाने वाले ट्राईएसिटोन ट्राईपरॉक्साइड (TATP) का इस्तेमाल किया गया था। इसके साथ ही, 2-3 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल जैसे अन्य केमिकल भी इस्तेमाल किए गए हो सकते हैं। इन सबको मिलाकर बम का वजन 40-50 किलोग्राम तक हो सकता है।

यह बम इतना शक्तिशाली था कि इसका असर 50 मीटर नीचे तक महसूस किया गया और इसके टुकड़े 50 मीटर के दायरे में फैल गए। कार में मिले एक बड़े बैग से पता चला कि बम का आकार काफी बड़ा था। यह कार डॉ. उमर नबी चला रहे थे, जिनकी इस धमाके में मौत हो गई।

TATP कितना खतरनाक विस्फोटक?

TATP एक बहुत ही खतरनाक और अस्थिर केमिकल है? यह हल्के से झटके, गर्मी, घर्षण और बिजली के हल्के से डिस्चार्ज से भी फट सकता है। लेकिन इसकी खासियत यह है कि इससे ‘मिलिट्री-ग्रेड’ जैसा शक्तिशाली IED बनाया जा सकता है, जिसकी ताकत TNT (ट्रिनिट्रोटोल्यूइन) की लगभग 80% के बराबर होती है। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट आने के बाद ही इस बात की पुष्टि हो पाएगी।

गलती से धमाका होना आम बात

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, ‘यह किसी भी मात्रा में खतरनाक है। इसे बनाते या ले जाते समय गलती से धमाका होना आम बात है। इस खुलासे से यह भी पता चलता है कि शायद इस बम को फटने के लिए किसी डेटोनेटर की जरूरत नहीं पड़ी होगी और यह गर्मी या किसी और वजह से खुद ही फट गया होगा।

मौके पर कोई छर्रे या गोलियां क्यों नहीं मिली?

सूत्रों का कहना है कि कार चलाने वाले डॉ. उमर उन नबी यह बात जानते थे, इसीलिए उन्होंने कार को भीड़भाड़ वाली जगह पर ले जाकर खड़ा किया था। पुलिस पहले यह सोच रही थी कि यह धमाका गलती से हुआ होगा, लेकिन अब यह थ्योरी और भी मजबूत हो गई है। खासकर श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए ब्लास्ट के बाद। एक अधिकारी ने कहा, ‘धमाके में इस विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था इसीलिए मौके पर कोई छर्रे या गोलियां नहीं मिलीं, जबकि कार बमों में कार के ही पुर्जे छर्रों का काम करते हैं।’

TATP बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए जरूरी केमिकल, एसीटोन और हाइड्रोजन पेरोक्साइड, आसानी से मिल जाते हैं। ये केमिकल घरों में इस्तेमाल होने वाली चीजों में भी पाए जाते हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनियम नाइट्रेट एक ऑक्सीडाइजर है और कई औद्योगिक विस्फोटकों का मुख्य हिस्सा होता है।

केमिकल की मात्रा काफी ज्यादा होने की संभावना

धमाके में इस्तेमाल हुए केमिकल की मात्रा भी काफी ज्यादा बताई जा रही है। 2-3 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल के साथ TATP मिलाकर बम का वजन 40-50 किलोग्राम तक हो सकता है। यह बम इतना शक्तिशाली था कि इसका असर काफी दूर तक महसूस किया गया। धमाके के बाद कार के टुकड़े 50 मीटर तक फैल गए थे। कार में मिले एक बड़े बैग से यह अंदाजा लगाया गया कि बम का आकार काफी बड़ा रहा होगा।

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