Sonali Banerjee: समुद्र जितना गहरा और विशाल है, उतनी ही कठिन होती है उस पर चलने वाले जहाजों की दुनिया। लंबे समय तक इसे सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, लेकिन भारत की एक बेटी ने इतिहास रच दिया। सोनाली बनर्जी भारत की पहली महिला मरीन इंजीनियर हैं। वह न सिर्फ समुद्र की लहरों पर उतरीं, बल्कि इस धारणा को भी तोड़ दिया कि यह पेशा केवल पुरुषों के लिए है। सोनाली बनर्जी की कहानी सीख देती है कि लहरों से डरकर नाव कभी पार नहीं होती। उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ा, चुनौतियों को पार किया और भारत की पहली महिला मरीन इंजीनियर बनकर इतिहास रच दिया। वे सचमुच महिला सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल हैं। आइए जानते हैं सोनाली बनर्जी के बारे में।
सोनाली बनर्जी का जीवन परिचय
सोनाली बनर्जी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। सोनाली को बचपन से समुद्र और जहाजों की दुनिया ने आकर्षित किया। दरअसल उनके चाचा नौसेना में थे, जो उनकी प्रेरणा बने। चाचा से समुद्र और जहाजों की रोमांचक कहानियां सुनकर बड़ी हुई सोनाली ने मन में समुद्री यात्राओं का सपना देखना शुरू किया।
सोनाली बनर्जी की शिक्षा और करियर
अपने सपने को पूरा करने के लिए सोनाली ने साल 1995 में कोलकाता के तरातला स्थित मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमईआरआई)में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की। इस संस्थान में पहली बार किसी महिला ने दाखिला लिया था। उस समय संस्थान में कोई महिला हाॅस्टल नहीं था और न ही परिसर में कोई महिला कर्मचारी थी। ऐसे में एक छात्रा के लिए आवास की समस्या परिसर के सामने खड़ी हुई।
काफी विचार विमर्श के बाद कॉलेज ने शिक्षकों के लिए निर्धारित खाली क्वार्टर में सोनाली को रहने की जगह दी। उनके बैच में 1500 कैडेट्स थे, जिसमें वह एकमात्र महिला थी। हालांकि इस पुरुष प्रधान माहौल में अपनी योग्यता साबित करते हुए सोनाली ने हर सेमेस्टर में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और 1999 में अपनी बी.ई. डिग्री पूरी की।
शिपिंग कंपनी में की ट्रेनिंग
शुरुआत में कोई भी शिपिंग कंपनी उन्हें प्रशिक्षु के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहती थीं लेकिन सोनाली ने हार नहीं मानी और छह महीने के प्री-सी प्रशिक्षण के लिए मोबिल शिपिंग कंपनी ने सोनाली को चुना। सोनाली ने श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, थाईलैंड, हॉन्ग कॉन्ग, फिजी और खाड़ी देशों के बंदरगाहों को छूते हुए ट्रेनिंग पूरी की।
यूपी की सोनाली ने महज 22 साल की उम्र में सामाजिक बाधाओं को तोड़ पुरुष प्रधान मरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई। 27 अगस्त 1999 को इतिहास रचते हुए भारत की पहली महिला मरीन इंजीनियर बनने का गौरव हासिल किया। 26 अगस्त 2001 को उन्होंने मोबिल शिपिंग कंपनी के जहाज के मशीन रूम की जिम्मेदारी संभाल कर इतिहास रचा।








