गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश की पूजा का प्रमुख अवसर होता है, और इस दौरान मोदक का विशेष महत्व होता है. मोदक भगवान गणेश को बेहद प्रिय है और इसे इस त्योहार के प्रमुख प्रसाद के रूप में प्रस्तुत किया जाता है. आइए जानते हैं कि मोदक भगवान गणेश को क्यों प्रिय है.
हिंदू पुराणों के अनुसार, यह मिठाई भगवान गणेश को अति प्रिय है. पुराणों के अनुसार, देवी अनुसूया ने भगवान शिव को परिवार सहित अपने यहां खाने पर बुलाया था. इस निमंत्रण में भगवान शिव परिवार के साथ पहुंचे. देवी अनुसूया ने सभी से आग्रह किया कि जब गणपति बप्पा अपना खाना समाप्त करें, तभी सब भोज पर बैठें. लेकिन छोटे से गणपति बार-बार खाना मंगवाते रहे. यह देख मां पार्वती ने खाने के बाद उन्हें एक मोदक दिया, जिसे खाते ही गणपति बप्पा ने लंबी-सी डकार ली. इतना ही नहीं, भगवान शिव ने भी इसके बाद 21 बार डकार ली. मां पार्वती ने देवी अनुसूया से आग्रह किया कि अब वह अपने बाकी मेहमानों को भोज के लिए बैठा सकती हैं, क्योंकि गणेश जी तृप्त हो चुके हैं.
देवी अनुसूया यह देख हैरान हुई और उन्होंने इसकी विधि मां पार्वती से मांगी. इसके बाद, पार्वती जी ने अनुरोध किया कि उनके पुत्र के सभी भक्त उन्हें इक्कीस मोदक अर्पित करें, करेंगे तो भगवान खुश होंगे और उनकी मनोकामना पूरी होगी. इसलिए, गणेश चतुर्थी पर मोदक का महत्व सिर्फ एक मिठाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा, आस्था और परंपरा का प्रतीक भी है.
मोदक की मिठास और सादगी भगवान गणेश की सरलता और पवित्रता का प्रतीक हैं. यह मिठाई दैवीय ऊर्जा और खुशी का प्रतीक होती है, जो गणेश जी की पूजा के साथ जुड़ी हुई है.