अमेरिका ने अपनी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों (मुस्लिम) के साथ ज़ुल्म किया जाता है। भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की कथित गिरावट को लेकर अमेरिकी सरकार के आयोग ने रिपोर्ट जारी है, जिसमें वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन ने लिखा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों पर हिंसक हमले होते हैं। इसके अलावा सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि रिपोर्ट में मुस्लिम , वक्फ संशोधन बिल गोहत्या विरोधी कानून की बात की गई है। इन सब के चलते आयोग ने देश को धार्मिक भेद-भाव वाले देशों के लिस्ट में नामित करने का आग्रह किया है।
7 पेज वाले इस दस्तावेज को वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन ने लिखा है। इसमें भारत पर धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसक हमलों को उकसाने के लिए गलत सूचना देना और इसके इस्तेमाल का वर्णन किया गया है। रिपोर्ट में मुस्लिम, वक्फ संशोधन बिल, गोहत्या विरोधी कानून का जिक्र किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग के बयान में इसका जिक्र किया गया है। अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ने यह भी सिफारिश की कि अमेरिकी विदेश विभाग धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित तरीके से चल रहे गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने के कारण भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित करे। अमेरिका और भारत के संबंध अच्छे हैं। पहले भी इस तरह की रिपोर्ट आती रही हैं, जिसकी सिफारिशों को अमेरिका स्वीकार करने से बचता रहा है।
ने कहा, ‘यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे पूरे 2024 में निगरानी समूहों की ओर से लोगों को मार डाला गया। उन्हें पीटा गया और पीट-पीट कर मार डाला गया। धार्मिक नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया और घरों और पूजा स्थलों को ध्व्स्त कर दिया गया। यह घटनाएं धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से लेकर आज तक भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का हवाले देते हुए के सदस्यों को देश का दौरा करने के लिए वीजा नहीं दिया है।