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संभल जाएं…दिल का मामला है दिल्लगी नहीं! हार्ट अटैक की चपेट में 20 से 30 साल के युवा, रिसर्च में हुआ खुलासा

युवाओं में हृदयाघात के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। आईजीएमसी शिमला के कार्डियोलॉजी विभाग के शोध में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हृदयाघात के हिमाचल में प्रति माह 100 से 150 और IGMC में 30 से 35 मामले आ रहे हैं। इनमें से 10 प्रतिशत मामले 20 से 30 वर्ष के युवाओं के हैं। जानिए हृदयाघात के लक्षण कारण और बचाव के उपाय।

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  1. हृदयाघात के 10 प्रतिशत मामले 20 से 30 वर्ष तक के युवाओं के।
  2. शारीरिक श्रम में कमी, फास्ट फूड, नशा व धूमपान बन रहा कारण।
  3. मामूली गैस्टिक मान कर करते हैं बड़ी गलती, इलाज में होती है देरी।

संभल जाएं युवा…यह दिल का मामला है दिल्लगी नहीं। दिनचर्या में परिवर्तन से अधिकतर बुढ़ापे में होने वाला हृदयाघात अब युवाओं को भी चपेट में ले रहा है। ये चौंकाने वाले तथ्य इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला के कार्डियोलाजी विभाग के शोध में सामने आए हैं। हृदयाघात के हिमाचल में प्रति माह 100 से 150 व आइजीएमसी में 30 से 35 मामले आ रहे हैं। इनमें 10 प्रतिशत मामले 20 से 30 वर्ष के युवाओं के हैं।

यही कारण है कि बच्चों और युवाओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लोग गैस्टिक मान उसकी दवाएं खाते रहते हैं, लेकिन तब तक इलाज में देर हो जाती है और इंजेक्शन का असर नहीं होता। चिकित्सकों की मानें तो दिनचर्या में परिवर्तन, धूमपान, शारीरिक श्रम में कमी और फास्ट फूड का अधिक सेवन हृदयाघात के साथ अन्य बीमारियों का कारण बन रहा है।

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