गुजरात के केवड़िया में 31 अक्टूबर को आयोजित होने वाली “एकता परेड 2025” में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की झांकी को चयनित किया गया है। इस बार बस्तर का थीम “संघर्ष से विकास, डर से विश्वास की ओर” है, जो क्षेत्र में शांति, सामाजिक परिवर्तन और विकास के नए अध्याय को दर्शाता है। यह झांकी न केवल राज्य का गर्व बढ़ाएगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बस्तर की सकारात्मक छवि भी प्रस्तुत करेगी।
बस्तर की झांकी: संघर्ष से विकास की कहानी
बस्तर लंबे समय तक नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में शामिल रहा है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में सरकार, सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों के सामूहिक प्रयासों से इस क्षेत्र ने विकास की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए हैं। इस झांकी में आदिवासी संस्कृति, पारंपरिक कला, शिक्षा, पर्यटन और आधुनिक विकास परियोजनाओं का सुंदर संगम दिखाया जाएगा। ‘संघर्ष से विकास’ का यह थीम इस बात का प्रतीक है कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विश्वास और अवसर का केंद्र बन रहा है।
एकता परेड 2025: राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक
“एकता परेड 2025” सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर हर वर्ष आयोजित की जाती है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जहां विभिन्न राज्यों की झांकियाँ भारत की एकता, विविधता और प्रगति को प्रदर्शित करती हैं। इस वर्ष का आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि भारत अपनी आज़ादी के 78वें वर्ष में है और केंद्र सरकार “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को और सशक्त रूप में प्रस्तुत करना चाहती है।
छत्तीसगढ़ की पहचान और बस्तर की भूमिका
छत्तीसगढ़ की झांकी हर साल अपनी संस्कृति, लोककला और सामाजिक संदेशों के लिए जानी जाती है। बस्तर की झांकी में घोटुल परंपरा, मुरिया नृत्य, ढोल-नगाड़े, हस्तशिल्प, और हाट-बाजार संस्कृति जैसे तत्व शामिल किए गए हैं। इसके साथ-साथ, नई सड़कों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और पर्यटन स्थलों के विकास को भी दिखाया जाएगा। राज्य पर्यटन विभाग का कहना है कि इस झांकी से बस्तर की वास्तविक पहचान—“संघर्ष से स्थिरता की ओर यात्रा”—देश के सामने आएगी।
मुख्यमंत्री का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा,
“यह हमारे लिए गर्व की बात है कि बस्तर की झांकी ‘एकता परेड 2025’ में देश के सामने छत्तीसगढ़ की नई दिशा को दिखाएगी। यह थीम प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न से मेल खाती है।” राज्य संस्कृति मंत्री ने भी कहा कि यह झांकी बस्तर की जनता के समर्पण, धैर्य और आत्मविश्वास की झलक है।
देशभर में बढ़ी उत्सुकता
गुजरात में होने वाले इस आयोजन के लिए देशभर के दर्शकों और मीडिया में जबरदस्त उत्साह है। बस्तर की झांकी को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा है। लोग इसे “छत्तीसगढ़ की आत्मा” का प्रतिनिधित्व मान रहे हैं, जो यह संदेश देती है कि कठिनाइयों के बावजूद विकास और एकता संभव है।

 
                                    







