दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में उस वक्त छत्तीसगढ़ी संस्कृति की गूंज सुनाई दी, जब ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ का नारा अंतरराष्ट्रीय मंच पर गूंज उठा। इस भव्य आयोजन में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य, संगीत और वेशभूषा के माध्यम से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का शानदार प्रदर्शन किया, जिसे देश-विदेश से आए दर्शकों ने खूब सराहा।
कार्यक्रम के दौरान पंथी, राउत नाचा और लोकगीतों की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कलाकारों की ऊर्जावान प्रस्तुति और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप ने लाल किले के माहौल को छत्तीसगढ़ी रंग में रंग दिया। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों की प्रशंसा की।
इस अवसर पर आयोजकों ने कहा कि ऐसे मंच छत्तीसगढ़ की पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूती देते हैं। ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि राज्य की मेहनती संस्कृति, आत्मसम्मान और विविधता का प्रतीक है, जिसे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान मिल रही है।








