Child care tips: बच्चों का अंगूठा चूसना एक सामान्य और स्वाभाविक आदत है, खासकर उन बच्चों में जो अभी छोटे होते हैं या जिनकी मानसिक और शारीरिक विकास की प्रक्रिया में यह एक सहज हिस्सा होता है। यह उन्हें तात्कालिक आराम और सुरक्षा का अहसास कराता है, और कई बार तनाव, चिंता या थकान की स्थिति में बच्चे अपने अंगूठे को चूसकर खुद को शांत करते हैं। लेकिन ये आदत बच्चों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
इसलिए, यह जरूरी है कि माता-पिता इस आदत को समय रहते पहचानें और उचित कदम उठाएं, ताकि बच्चे को भविष्य में दांतों और मानसिक विकास से जुड़ी समस्याओं का सामना न करना पड़े। हालांकि, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह आदत धीरे-धीरे खत्म होनी चाहिए। यदि यह आदत लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसके कुछ नकरात्मक प्रभाव हो सकते हैं।आइए जानते हैं क्या हैं इसके नकारात्मक प्रभाव।
लगातार अंगूठा चूसने से दांतों की स्थिति में बदलाव आ सकता है, जैसे कि सामने के दांत बाहर की ओर निकल सकते हैं या किडनी (जॉ) का आकार प्रभावित हो सकता है। अंगूठा चूसने से बच्चे के मुंह और जबड़े की संरचना पर असर पड़ सकता है, जिससे भविष्य में दांतों की सेटिंग में समस्या हो सकती है। यदि यह आदत लंबी चलती है, तो बच्चों को बोलने में समस्या हो सकती है, क्योंकि अंगूठा चूसने से मुंह की मांसपेशियों का विकास असामान्य तरीके से हो सकता है। बड़े बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत से मानसिक असुरक्षा, शर्मिंदगी और समाजीकरण में दिक्कतें हो सकती हैं,
क्योंकि यह आदत बड़ी उम्र में सामाजिक तौर पर स्वीकार्य नहीं मानी जाती। 1-यदि बच्चा अंगूठा चूसने की आदत को छोड़ने में कठिनाई महसूस कर रहा है, तो धीरे-धीरे इसके स्थान पर कोई अन्य खेलकूद या शांति देने वाली गतिविधियाँ अपनाने की कोशिश करें। 2-बच्चों को अंगूठा चूसने से रोकने के लिए सकारात्मक प्रोत्साहन और प्यार से उन्हें समझाना बेहतर होता है, बजाय इसके कि उन्हें डांटा जाए। 3-बच्चों के दांतों और मुंह की संरचना पर नजर रखना महत्वपूर्ण है, और अगर समस्या गंभीर हो तो किसी दंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।