एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते आर्थिक समीकरणों के बीच चीन ने जापान को एक बड़ा झटका दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजिंग की नई व्यापार नीतियों और प्रतिबंधों से जापानी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस भू-आर्थिक तनाव का अप्रत्यक्ष लाभ भारत को मिलता दिख रहा है, क्योंकि जापानी और अन्य वैश्विक कंपनियां अब चीन की जगह भारत को एक सुरक्षित और स्थिर विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रही हैं।
इसी बीच, अमेरिका के ट्रंप टैरिफ को लेकर भारतीय उद्योग जगत में जो अनिश्चितता बनी हुई थी, वह भी काफी हद तक खत्म हो गई है। संकेत मिल रहे हैं कि नए व्यापार चक्र में भारत को कठोर आयात-निर्यात शुल्कों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह राहत भारतीय निर्यातकों, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर के लिए बड़ी खुशखबरी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कड़े कदमों और जापान के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण एशियाई सप्लाई चेन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। भारत के लिए यह अवसर है कि वह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘चीन+1 रणनीति’ के तहत और अधिक विदेशी निवेश आकर्षित कर सके।
कुल मिलाकर, आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर जहां जापान के लिए चिंता बढ़ी है, वहीं भारत के लिए यह दोहरी खुशखबरी लेकर आया है—एक तरफ चीन की नीति का अप्रत्यक्ष लाभ और दूसरी ओर ट्रंप टैरिफ का बोझ कम होने की संभावना।








