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Friday, February 14, 2025

Data Privacy Day 2025: आपके डेटा की सुरक्षा अब पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण, जानें क्यों…

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Data Privacy Day 2025: हर साल 28 जनवरी को डेटा प्राइवेसी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता के महत्व को उजागर करना है. इसकी शुरुआत यूरोप में “डेटा प्रोटेक्शन डे” के रूप में हुई थी, जो 2008 में अमेरिका और कनाडा में “डेटा प्राइवेसी डे” के नाम से मनाया जाने लगा. यह दिन 1981 में हस्ताक्षरित कन्वेंशन 108 की वर्षगांठ का प्रतीक है, जो डेटा संरक्षण पर पहला अंतरराष्ट्रीय कानूनी समझौता था.

डेटा क्या है?

डेटा का मतलब उन व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारियों से है, जो किसी व्यक्ति की पहचान को उजागर कर सकती हैं. इनमें नाम, संपर्क विवरण, आधार और पैन कार्ड नंबर, वित्तीय जानकारी, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, ऑनलाइन गतिविधियां, और यहां तक कि ईमेल व कॉल लॉग जैसी जानकारी शामिल हैं.

डेटा प्राइवेसी क्यों है जरूरी?

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ “व्यक्तिगत डेटा जैसे नाम, पते, वित्तीय विवरण गलत हाथों में जाने पर पहचान की चोरी, धोखाधड़ी, या यहां तक कि उत्पीड़न का कारण बन सकता है.”

  • पहचान की सुरक्षा: निजी डेटा का दुरुपयोग करके किसी की पहचान का गलत उपयोग किया जा सकता है.
  • वित्तीय सुरक्षा: बैंक विवरण या क्रेडिट कार्ड की जानकारी के लीक होने से धोखाधड़ी हो सकती है.
  • भेदभाव से बचाव: स्वास्थ्य, जाति, या राजनीतिक विचार जैसे संवेदनशील डेटा के दुरुपयोग से भेदभाव हो सकता है.
  • निजी स्वतंत्रता: यह जानने का अधिकार कि आपके डेटा तक किसकी पहुंच है.
  • साइबर हमलों से सुरक्षा: डेटा की सुरक्षा बड़े साइबर हमलों को रोकने में मदद करती है.
  • निगरानी से आजादी: अधिक जानकारी उजागर होने से निगरानी और छेड़छाड़ की आशंका बढ़ जाती है.

भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट

DPDP अधिनियम डेटा के सुरक्षित भंडारण और केवल अधिकृत व्यक्तियों द्वारा डेटा तक पहुंच सुनिश्चित करता है. यह कानून कंपनियों को उन्नत सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए बाध्य करता है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें सुधार की गुंजाइश है.

डेटा कानून विशेषज्ञ, कहती हैं, “इस कानून में गैर-डिजिटल डेटा को बाहर रखा गया है और इसे लागू करने में जटिलताएं हो सकती हैं. इसके अलावा, डेटा लोकलाइजेशन पर नियम अस्पष्ट हैं.”

भारतीय नागरिकों के अधिकार

DPDP अधिनियम के तहत, नागरिकों को अपने डेटा तक पहुंच, संशोधन, और हटाने का अधिकार है. शिकायतों के निपटारे के लिए तीन-स्तरीय तंत्र है—पहले डेटा फिड्यूशियरी, फिर कंसेंट मैनेजर, और अंत में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया (DPBI).

संविधान का अनुच्छेद 21 नागरिकों के गोपनीयता के मौलिक अधिकार की रक्षा करता है. इसके अलावा, IT अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम जैसे कानून भी डेटा के दुरुपयोग के मामलों में कानूनी उपाय प्रदान करते हैं.

उभरती तकनीकों और डेटा प्राइवेसी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकें डेटा सुरक्षा में क्रांति ला रही हैं. AI साइबर हमलों की पहचान और रोकथाम में मदद करता है, जबकि ब्लॉकचेन डेटा में छेड़छाड़ को रोकता है.

“AI और IoT जैसी तकनीकों ने सुरक्षा में सुधार किया है, लेकिन इनसे उत्पन्न डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है.”

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