बच्चे के विकास के हर पड़ाव को देखना माता-पिता के लिए गर्व का क्षण होता है। चाहे वो बैठना सीखना हो या चलना, हर कदम खास होता है। हालांकि, विकास में कुछ देरी होना सामान्य है, लेकिन कुछ संकेत जैसे सीधा न बैठ पाना या पैरों की मूवमेंट में दिक्कत, गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं। आइए डॉ. प्रियांशू माथुर ( स्टेट नॉडल ऑफिसर फॉर रेयर डिजीज और एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के एसोशिएट प्रोफेसर, पीडियाट्रिक मेडिसिन) से जानते हैं कि ये संकेत किस बीमारी का इशारा हो सकते हैं।
ऐसी ही एक बीमारी है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA)। यह एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जिससे विकसित होती मांसपेशियों में कमजोरी होने लगती है। इसकी गंभीरता के बावजूद, SMA टाइप-1 अक्सर अनदेखा या गलत डायग्नोस किया जाता ,है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण अन्य सामान्य स्थितियों के जैसे भी हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, सीधा न बैठ पाना या सिर का नियंत्रण न रख पाना धीमे विकास के रूप में देखा जा सकता है। इसी तरह, हाथ और पैरों में मांसपेशियों की कमजोरी को लो मसल टोन समझ लिया जा सकता है, जबकि खाने और निगलने में कठिनाई को कॉमन इंफैंट रिफ्लक्स या खिलाने की समस्याओं के रूप में देखा जा सकता है।
यहां तक कि सांस लेने से जुड़ी समस्याएं, जो SMA में आम हैं, को शुरू में सामान्य सर्दी या इन्फेक्शन का लक्षण मान लिया जाता है। इन लक्षणों के कारण और SMA जैसी दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरुकता की कमी के कारण इसका पता लगाने में काफी देर हो जाती है। यही कारण है कि माता-पिता को अगर अपने बच्चे में ऐसे संकेत नजर आए, तो उन्हें हल्के में न लेकर किसी डॉक्टर से संपर्क करें।
इन लक्षणों की शुरुआती पहचान बच्चों को समय पर देखभाल और इलाज प्राप्त करने में मददगार साबित हो सकते हैं। SMA के लक्षणों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि SMA टाइप-1 वाले शिशु आमतौर पर अपने पहले छह महीनों में लक्षण दिखाते हैं। कमजोर रेस्पिरेटरी टिश्यूज और अविकसित फेफड़ों जैसी सांस से जुड़ी समस्याएं SMA के बहुत आम लक्षण हैं। इसके कुछ अन्य लक्षणों में निगलने और खाने में तकलीफ शामिल है। स्कॉटियोसिस भी SMA टाइप-1 के सबसे आम लक्षणों में से एक है। यह कंडीशन मरीजों की गतिशीलता को भी कम करती है, जिससे जोड़े सख्त हो जाते हैं या डिसलोकेट हो जाते हैं।