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Saturday, November 15, 2025

अंबूजा कोयला खदान जनसुनवाई निरस्त करने की मांग पर रायगढ़ में सैकड़ों ग्रामीणों का जोरदार प्रदर्शन

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रायगढ़ : रायगढ़ जिले में अंबूजा कोयला खदान की प्रस्तावित जनसुनवाई को निरस्त कराने की मांग को लेकर रायगढ़ जिले के चार से अधिक गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने गुरुवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लेकर ग्रामीणों ने रैली निकाली और कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया। इस आंदोलन को खरसिया विधायक उमेश पटेल और धरमजयगढ़ विधायक लालजीत राठिया का भी समर्थन मिला।

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मिली जानकारी के अनुसार, 11 नवंबर को अंबूजा कोल माइंस की जनसुनवाई निर्धारित है। प्रभावित गांव पुरूंगा, सांभरसिंघा, तेंदूमूड़ी, कोकदार समेत अन्य पंचायतों के ग्रामीणों ने कहा कि उनका क्षेत्र पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, जहां पेसा कानून लागू है। इसके तहत ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी परियोजना पर निर्णय नहीं लिया जा सकता।

ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन ने मौखिक रूप से जनसुनवाई की अनुमति का दावा किया है, जबकि ग्रामसभा ने इस जनसुनवाई को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया है। बावजूद इसके प्रशासन ने ग्रामीणों को अब तक कोई लिखित सूचना नहीं दी है, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। धरना स्थल पर मौजूद महिलाओं और युवाओं ने बताया कि प्रस्तावित खदान अडाणी समूह की परियोजना से जुड़ी है, जिसे वे किसी भी हाल में अपने इलाके में नहीं चाहते। ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे अपनी जल, जंगल और जमीन किसी कंपनी को नहीं सौंपेंगे। तीन ग्राम पंचायतों की सभाओं में जनसुनवाई के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसकी प्रति पहले भी जिला प्रशासन को सौंपी जा चुकी है। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जब तक जनसुनवाई को निरस्त करने की लिखित घोषणा नहीं की जाती, उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। कई ग्रामीणों ने तो धरना स्थल पर ही रुककर भोजन बनाने और रात बिताने की तैयारी की है।

इस दौरान विधायक उमेश पटेल ने कहा कि जब ग्रामसभा ने जनसुनवाई का प्रस्ताव पारित ही नहीं किया, तो यह प्रक्रिया गैरकानूनी है। इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव दिखाकर कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। वहीं, इस पूरे मामले पर रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा कि जनसुनवाई का उद्देश्य ही ग्रामीणों की बात सुनना है। उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा। इसके निरस्तीकरण का कोई तर्क नहीं है, लेकिन प्रशासन संवाद के माध्यम से ग्रामीणों की बात समझने का प्रयास कर रहा है।

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