दुनिया में अमेरिकी स्टील्थ विमानों—F-35, F-22 रैप्टर और B-21 Raider—को लंबे समय से हवाई युद्ध की बादशाहत का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन अब रूस के अत्याधुनिक S-500 ‘प्रोमेथियस’ एयर डिफेंस सिस्टम ने पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि S-500 की क्षमताएं अमेरिकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी को गंभीर चुनौती दे सकती हैं।
रूस का S-500 सिस्टम पारंपरिक एयर डिफेंस से कहीं आगे बताया जाता है। यह न केवल फाइटर जेट्स और स्टील्थ विमानों को ट्रैक करने में सक्षम है, बल्कि हाइपरसोनिक मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखता है। इसकी रडार रेंज सैकड़ों किलोमीटर तक बताई जाती है, जिससे कम रडार सिग्नेचर वाले स्टील्थ विमान भी इसकी पकड़ में आ सकते हैं।
अमेरिकी F-35, F-22 और आने वाला B-21 Raider इस धारणा पर आधारित हैं कि स्टील्थ तकनीक उन्हें दुश्मन की रडार पकड़ से दूर रखेगी। लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, S-500 में इस्तेमाल की गई मल्टी-लेयर रडार टेक्नोलॉजी स्टील्थ विमानों की इस बढ़त को कमजोर कर सकती है। यही वजह है कि पश्चिमी सैन्य रणनीतिकार S-500 को “गेम चेंजर” मान रहे हैं। नाटो देशों की चिंता इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि अगर S-500 बड़े पैमाने पर तैनात होता है या रूस इसे अपने सहयोगी देशों को देता है, तो अमेरिकी वायु शक्ति की रणनीतिक बढ़त प्रभावित हो सकती है। इससे हवाई हमलों की योजना, सैन्य संतुलन और वैश्विक सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि S-500 बनाम अमेरिकी स्टील्थ विमानों की यह होड़ आने वाले वर्षों में नई हथियार दौड़ को जन्म दे सकती है। जहां अमेरिका अपनी स्टील्थ और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताओं को और उन्नत करेगा, वहीं रूस और उसके सहयोगी एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करने पर जोर देंगे।कुल मिलाकर, रूसी S-500 ने अमेरिकी स्टील्थ विमानों की अजेय छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यही कारण है कि पश्चिमी देशों में इसे लेकर डर और रणनीतिक मंथन दोनों तेज हो गए हैं।








