दो अक्टूबर 2014 को शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन की दस साल की यात्रा की सबसे बड़ी चुनौतियो में कचरा प्रबंधन की स्थायी और प्रभावी व्यवस्था करना रहा है। पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले साल यानी 2025 तक केवल शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 0.70 किलोग्राम ठोस कचरा उत्पन्न किया जाएगा। यह 1999 के मुकाबले चार से छह गुना अधिक है
दो अक्टूबर 2014 को शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन की दस साल की यात्रा की सबसे बड़ी चुनौतियो में कचरा प्रबंधन की स्थायी और प्रभावी व्यवस्था करना रहा है। पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले साल यानी 2025 तक केवल शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 0.70 किलोग्राम ठोस कचरा उत्पन्न किया जाएगा। यह 1999 के मुकाबले चार से छह गुना अधिक है, लेकिन इसके मुकाबले हमारे कचरा प्रबंधन की शक्ति एक चौथाई भी नहीं है।
कचरा हर साल चार प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है और सरकारें इसका मुकाबला करने में हांफ रही हैं। इसकी एक बानगी केंद्र सरकार की गोबरधन योजना है, जिसका उद्देश्य कचरे से बायो गैस, सीबीजी और बायो सीएनजी प्लांट स्थापित करना है। तीन साल में यह योजना दो कदम भी नहीं चल पाई है। स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य हासिल करने के लिए 2016 में ठोस कचरा प्रबंधन के नियम तय कर दिए गए थे।