चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष शुरू होने के पीछे कई धार्मिक कारण हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही की थी. इसलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 4:30 बजे होगी, और समापन 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे होगा. इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है.
सौर और चंद्र गणना पर आधारित नववर्ष
हिंदू पंचांग चंद्र-सौर गणना पर आधारित होता है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नव संवत्सर (हिंदू नववर्ष) का प्रारंभ माना जाता है. इसी दिन से विक्रम संवत और हिंदू पंचांग का नववर्ष शुरू होता है. इस दिन विक्रम संवत 2082 की शुरुआत होगी.
ऋतु परिवर्तन और प्राकृतिक महत्व
चैत्र मास से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जिसे जीवन, नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं, जिससे इसे प्रकृति के नवजीवन का भी प्रतीक माना जाता है.
भगवान राम और अन्य ऐतिहासिक घटनाएं
भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था. महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत भी इसी दिन की थी. नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के पूजन के लिए समर्पित होता है, जिससे यह और भी शुभ माना जाता है.