सनातन धर्म में मंगलवार का दिन भगवान श्रीराम के परम हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन बजरंगबली की जातक विधिपूर्वक उपासना करते हैं। साथ ही व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को करियर और कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि हनुमान जी के सामने कोई शक्ति टिक नहीं पाती है।
मंगलवार का दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन उन्हें बूंदी के लड्डू समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। क्या आपको पता है कि हनुमान जी का अवतरण कैसे हुआ? अगर नहीं, तो आइए पढ़ते हैं के जन्म से बजरंगबली जुड़ी कथा के बारे में।
पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था। एक दिन माता अंजनी ने मानव रूप धारण किया था, जिसके बाद वो शिखर की ओर जा रही थीं और तो उस दौरान तेज हवा चल रही थी और वो चारों ओर देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है, लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। माता अंजनी को लगा कि शायद कोई राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा है, जिसकी वजह उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण स्त्री का अपमान कर रहा है।
उस दौरान पवन देव अवतरित हुए और माता अंजनी से माफी मांगने लगे। उन्होंने कहा कि ऋषियों ने आपके पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है। इस वजह से मैं विवश हूं और मुझे आपके शरीर को स्पर्श करना पड़ा। मेरे अंश से आपको एक तेजस्वी बालक की प्राप्ति होगी। उन्होंने आगे कहा कि मेरे स्पर्श से भगवान रुद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट हुए हैं। इस तरह से माता अंजनी के घर में देवों के देव महादेव ने बजरंगबली जी के रूप में अवतरित हुए।
मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र
ऊँ अं अंगारकाय नम:
ऊँ भौं भौमाय नम:।।
मंगल ग्रह मंत्र
ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
मंगल गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।