34 C
Raipur
Tuesday, April 22, 2025

इस्लाम में आत्मसंयम, इबादत और रहमत का महीना होता है रमजान

Must read

इस्लाम में रमजान का महीना सबसे पवित्र और बरकतों से भरपूर माना जाता है। यह आत्मसंयम, इबादत, और रहमत का महीना होता है, जिसमें रोजेदार अल्लाह की बंदगी में लीन रहते हैं। इसमें खाने-पीने और बुरे कर्मों से बचना अनिवार्य होता है। रमजान की रातों में विशेष रूप से तरावीह की नमाज अदा की जाती है और कुरआन-ए-पाक की तिलावत से मन को शांति मिलती है।
रमजान की सबसे बड़ी फजीलत यह है कि इसमें एक ऐसी रात होती है जिसे लैलतुल कद्र कहा जाता है। इस रात की इबादत हजार महीनों की इबादत से भी ज्यादा अफजल मानी जाती है।

मोहब्बत का संदेश

यह महीना नेकी और रहमतों दरवाजा खोलता है, जिसमें और सदका देने का भी महत्व होता है। रमजान के बाद ईद-उल-फितर आता है, जो अल्लाह की नेमतों के शुक्राने का दिन होता है। यह खुशी, भाईचारे और मोहब्बत का संदेश देता है।

इस दिन मुसलमान मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से अपनी दुआओं की कबूलियत की उम्मीद रखते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों को फितरा देकर इस त्योहार की खुशी को साझा किया जाता है।

रमजान का महत्व

रमजान इस्लामी  कैलेंडर का नौवां महीना है, जो दुनिया भर के मुसलमानों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह महीना आत्म-संयम, इबादत और आध्यात्मिक चिंतन का प्रतीक है। रमजान के दौरान लोग सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं, जिसमें भोजन, पानी और अन्य चीजों से परहेज किया जाता है।

रोजा केवल शारीरिक भूख और प्यास को नियंत्रित करना ही नहीं सिखाता, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और अल्लाह के करीब आने का एक माध्यम भी है। रमजान सामाजिक एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है। साथ ही जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा देता है।

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article