भारत ने 2025 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात (Electronics Export) के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पहली बार $30 बिलियन (लगभग ₹2.5 लाख करोड़) को पार कर गया है। इस अभूतपूर्व वृद्धि का श्रेय iPhone उत्पादन, अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों, और ‘Make in India’ पहल को दिया जा रहा है, जिसने भारत को वैश्विक सप्लाई चेन का एक मजबूत हिस्सा बना दिया है।
iPhone उत्पादन बना निर्यात वृद्धि का इंजन
पिछले दो वर्षों में Apple ने भारत में अपने iPhone उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है। तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में चल रहे Foxconn, Pegatron और Tata Electronics के कारखाने अब iPhone 15 और iPhone 16 सीरीज के निर्माण में सक्रिय हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अब Apple के कुल वैश्विक उत्पादन का 17% हिस्सा संभाल रहा है, जो 2022 में केवल 4% था। इससे न केवल देश के निर्यात में वृद्धि हुई है, बल्कि लाखों युवाओं को उच्च तकनीकी रोजगार भी मिले हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत अब सिर्फ असेंबली हब नहीं, बल्कि संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो रहा है।”
अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत को दिया अवसर
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव और तकनीकी प्रतिबंधों ने भारत को बड़ा अवसर प्रदान किया है अमेरिका और यूरोप के कई ब्रांड अब चीन के विकल्प के रूप में भारत को चुन रहे हैं, जिससे भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 28% सालाना दर से बढ़ा है। विशेष रूप से स्मार्टफोन, चिपसेट, वेयरेबल्स, और लैपटॉप कंपोनेंट्स के निर्यात में रिकॉर्ड उछाल देखा गया है। इसके अलावा, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) और इंडो-पैसिफिक सप्लाई चेन इनिशिएटिव जैसी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएँ भारत के लिए लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट एडवांटेज लेकर आई हैं।
‘Make in India’ और PLI स्कीम का बड़ा योगदान
भारत सरकार की Production Linked Incentive (PLI) योजना ने इस निर्यात वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, PLI स्कीम के तहत 40 से अधिक वैश्विक कंपनियों ने भारत में निवेश किया है। इनमें Samsung, Dixon, Wistron, Foxconn, Lava और Optiemus जैसे बड़े नाम शामिल हैं। PLI के तहत कंपनियों को निर्यात पर 4% से 6% तक प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे उत्पादन और निर्यात दोनों को बल मिला है।
सेमीकंडक्टर और कंपोनेंट निर्माण में तेजी
भारत अब केवल स्मार्टफोन असेंबल नहीं कर रहा, बल्कि सेमीकंडक्टर चिप्स और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के निर्माण की दिशा में भी तेजी से बढ़ रहा है। गुजरात के Dholera Semiconductor Park और तमिलनाडु के Hosur Tech City में चल रहे नए प्रोजेक्ट्स से उम्मीद है कि 2026 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्यात दोगुना हो जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग संघ (ELCINA) के अध्यक्ष ने कहा, “भारत अब टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट में वही भूमिका निभाने जा रहा है, जो 1990 के दशक में चीन ने निभाई थी।”
वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती स्थिति
भारत का यह निर्यात उछाल केवल उत्पादन क्षमता का परिणाम नहीं, बल्कि विश्वसनीय सप्लाई चेन पार्टनर के रूप में उसकी पहचान का प्रतीक भी है। Apple के अलावा Dell, HP, Lenovo और Google जैसी कंपनियाँ अब भारत में अपने उत्पादन यूनिट्स का विस्तार कर रही हैं। इससे भारत को एशिया का टेक्नोलॉजी हब बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम मिला है।

 
                                    







