भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) की तैयारियों को अंतिम चरण में ले जा रहा है। इस मिशन के तहत भारत पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की दिशा में बड़ा कदम उठाएगा। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने रविवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि संगठन दिसंबर 2025 में गगनयान की पहली मानवरहित उड़ान लॉन्च करेगा। इस उड़ान में मानव की जगह एआई आधारित ह्यूमनॉइड रोबोट ‘व्योममित्र’ को स्पेसक्राफ्ट के साथ भेजा जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह सिर्फ पहला चरण है। इसके सफल होने के बाद अगले साल दो और मानवरहित उड़ानें भेजी जाएंगी। अंतिम लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन को अंजाम देना है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की कक्षा (Orbit) में भेजे जाएंगे और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा।
हाल की बड़ी उपलब्धि: IADT-01 टेस्ट सफल
हाल ही में ISRO ने गगनयान मिशन से जुड़ी एक अहम उपलब्धि हासिल की है। संगठन ने पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण भारतीय वायुसेना, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थानों के सहयोग से किया गया। यह गगनयान की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
मिशन में सुरक्षा सर्वोपरि
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि मिशन की सफलता के लिए तापमान, दबाव, आर्द्रता और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे पहलुओं पर बारीकी से काम किया जा रहा है। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक खास Escape System भी तैयार किया गया है। इसके तहत 9 पैराशूट लगाए जाएंगे, जो यान को समुद्र में सुरक्षित उतारने में मदद करेंगे।
राष्ट्रीय परियोजना में कई संस्थानों का योगदान
गगनयान मिशन सिर्फ ISRO का नहीं, बल्कि पूरे देश का मिशन है। इसमें भारतीय वायुसेना, नौसेना, DRDO और कई अन्य शोध संस्थान शामिल हैं। इस मिशन के जरिए भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होगा, जिन्होंने अपने दम पर अंतरिक्ष में मानव को भेजने की क्षमता विकसित की है।
क्यों खास है ‘व्योममित्र’?
‘व्योममित्र’ (Vyommitra) एक AI-संचालित अर्ध-मानव (Humanoid Robot) है, जिसे खासतौर पर स्पेस मिशन के लिए तैयार किया गया है। यह रोबोट स्पेसक्राफ्ट के अंदर इंसानों जैसी गतिविधियां करने, सिस्टम की निगरानी रखने और ग्राउंड स्टेशन से संवाद करने की क्षमता रखता है। इसका मकसद भविष्य में वास्तविक अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करना है।
गगनयान मिशन के सफल होने के बाद भारत न केवल अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह संदेश देगा कि भारत अब मानव अंतरिक्ष उड़ान तकनीक (Human Spaceflight Technology) में भी आत्मनिर्भर हो चुका है।
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