चोर हमेशा आपकी गाड़ी पर बुरी नजर रखते है और उन्हें जैसे ही मौका मिलता है वह उसे चुराकर नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं। इस वजह से आपको भारी नुकसान और समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं, जब आप कार खरीदने के लिए शोरूम जाते हैं तो उसमें कई चीजों के जुड़ने की कार की ऑन रोड कीमत लाखों रुपये और बढ़ जाती है। अगर आपकी कार चोरी हो जाती है, तो कंपनी तो आपको केवल IDV यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू ही देती है, लेकिन ऑन रोड कीमत और IDV वैल्यू के बीच लाखों रुपये का अंतर होता है। हम यहां पर आपको एक ऐसा तरीका बता रहे हैं, जिसे अगर आप अपनाते हैं तो गाड़ी के चोरी होने पर आपको उसकी पूरी ऑन-रोड कीमत मिल सकती है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
रिटर्न टू इनवॉइस पॉलिसी लें
आपकी कार में आग लग जाए या फिर वह चोरी हो जाए, इन दोनों ही स्थिति में आपको कार की ऑन रोड कीमत मिल सकती है। इस नुकसान से बचने के लिए आपको कार का इंश्योरेंस लेने के दौरान Return to Invoice Policy को खरीदना होगा। इससे आपके लखाों रुपये बच सकते हैं।
क्या है रिटर्न टू इनवॉइस?
यह एक ऐसी पॉलिसी है, जिसमें आप लोगों को इंश्योरेंस कंपनी IDV के बजाय गाड़ी की ऑन रोड कीमत मिलती है। अगर आपके पास यह पॉलिसी है तो कार चोरी होने या फिर आग लगने की स्थिति में कंपनी आपको पूरी ऑन-रोड कीमत देती है।
वहीं, आपको किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदने से पहले उससे जुड़ी हुई हर जानकारी के बारे में समझना जरूर चाहिए। इस पॉलिसी का आपको पास होने पर अगर आपकी कार चोरी हो जाती है और 180 दिन पूरे हो जाते हैं और कार नहीं मिलती तो इस केस में कंपनी कार मालिक को उसकी टोटल लॉस डिक्लेयर कर ग्राहकों को क्लेम अमाउंट देती है।
इसके साथ ही यह भी जान लीजिए कि सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां ग्राहकों को एक्स शोरूम कीमत देती हैं, जबकि प्राइवेट कंपनियां आरटीओ, इंश्योरेंस समेत बाकी खर्चों के जुड़ने के बाद की ऑन रोड कीमत को कार मालिक को देती है।
आप अपनी कार के लिए रिटर्न टू इनवॉयस पॉलिसी को कार खरीदने के तीन साल के अंदर ही खरीद सकते हैं। कुछ कंपनियां इसे 3 से 5 साल तक का ऑफर देती है।