पांच साल के लंबे अंतराल के बाद भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवा फिर से शुरू हो गई है। कोलकाता से ग्वांगझू (Guangzhou) के लिए उड़ानें सोमवार से पुनः प्रारंभ हो चुकी हैं। यह फैसला दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस कदम को भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देश आर्थिक साझेदारी और व्यापारिक सहयोग को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
पांच साल बाद फिर से जुड़ा आसमान
कोलकाता-ग्वांगझू सीधी उड़ानें COVID-19 महामारी और उसके बाद के कूटनीतिक तनाव के कारण मार्च 2020 में बंद कर दी गई थीं। अब 2025 में, एविशन मंत्रालय ने एयरलाइन कंपनियों को हरी झंडी देते हुए इस सेवा को सप्ताह में तीन दिन संचालित करने की अनुमति दी है। पहली उड़ान में लगभग 180 यात्री सवार हुए, जिनमें व्यापारी, छात्र और पर्यटक शामिल थे। हवाई अड्डे पर यात्रियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया।
व्यापारिक संबंधों को नई गति
ग्वांगझू चीन का प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र है, जबकि कोलकाता पूर्वी भारत का सबसे बड़ा आर्थिक हब है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस सीधी उड़ान से दोनों शहरों के बीच व्यापारिक निवेश, निर्यात और आयात गतिविधियाँ तेज़ होंगी। भारतीय उद्योग संगठन FICCI के मुताबिक, इस उड़ान से विशेष रूप से टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और मशीनरी सेक्टर को बड़ा फायदा होगा। यह सेवा लॉजिस्टिक्स कॉस्ट कम करने के साथ सप्लाई चेन को मज़बूत करेगी।
विद्यार्थियों और पेशेवरों के लिए राहत
इस नई हवाई सेवा से चीन में पढ़ने वाले भारतीय विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिलेगी। कोविड के बाद चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले छात्र लंबे समय से सुविधाजनक उड़ान कनेक्टिविटी की मांग कर रहे थे। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच काम करने वाले व्यापारिक प्रतिनिधियों, टेक्निकल एक्सपर्ट्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए भी यह मार्ग बेहद उपयोगी साबित होगा।
पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को प्रोत्साहन
पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, कोलकाता से चीन जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 2026 तक 30% बढ़ने की उम्मीद है। ग्वांगझू की ऐतिहासिक धरोहरें, बौद्ध मंदिर और आधुनिक बाजार भारतीय यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं।उधर, भारतीय पर्यटन बोर्ड चीन से आने वाले पर्यटकों को दार्जिलिंग, सुंदरबन और बौद्ध तीर्थ स्थलों की ओर आकर्षित करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
सरकारों की भूमिका और कूटनीतिक संकेत
भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों ने इस उड़ान को फिर से शुरू करने के लिए आपसी संवाद तेज़ किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली (Confidence Building Measure) का प्रतीक है।
भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा —
“यह पहल न केवल व्यापार को बढ़ावा देगी बल्कि दोनों देशों के बीच जन-से-जन संपर्क (People-to-People Connect) को भी मज़बूत करेगी।”
आगे की संभावनाएँ
भविष्य में इस रूट पर कार्गो उड़ानों की भी योजना है ताकि औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला और तेज़ हो सके। एयरलाइन कंपनियाँ इस मार्ग को लाभकारी और दीर्घकालिक संचालन के रूप में देख रही हैं। पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यात्री संख्या लगातार बढ़ती है तो जल्द ही शंघाई और बीजिंग के लिए भी सीधी उड़ानें शुरू हो सकती हैं।








