रायपुर। देश में दलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के
लिए अनुसंधान एवं विकास हेतु कार्य योजना एवं रणनीति तैयार करने के लिए
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई
दिल्ली के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय रबी दलहन कार्यशाला एवं वार्षिक समूह
बैठक का आज यहां समापन हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल थे और अध्यक्षता भारतीय कृषि
अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. संजीव शर्मा ने की। इस
दो दिवसीय कार्यशाला में देश भर के 60 से अधिक केन्द्रों से आए 100 से अधिक
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु
अनुसंधान, प्रसार एवं उत्पादन तकनीक पर गहन विचार-मंथन किया गया तथा सार्थक
अनुशंसाएं प्रतिपादित की गई। इस दो दिवसीय रबी दलहन कार्यशाला चना,
मूंग, उड़द, मसूर, तिवड़ा, राजमा एवं मटर का उत्पादन बढ़ाने हेतु नवीन उन्नत
किस्मों के विकास एवं अनुसंधान पर चर्चा की गई एवं विभिन्न केन्द्रों
द्वारा इस संबंध में किये जा रहे अनुसंधान एवं विकास कार्याें तथा
उपलब्धियों की जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान आयोजित विभिन्न तकनीकी
सत्रों से प्राप्त अनुशंसाओं के अनुसार दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए दलहनी
फसलों की अधिक उपज देने वाली एवं कीट-रोगरोधी नवीन उन्नतशील किस्मों के
विकास तथा उन्नत बीज उत्पादन कार्यक्रम पर जोर दिया गया। इसके साथ ही इन
फसलों की पोषकता बढ़ाने के लिए इनमें प्रोटीन के अलावा आयरन एवं जिंक जैसे
सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए जेनेटिक बायोफोर्टिफिकेशन
कार्यक्रम संचालित करने की आवश्यकता बताई गई। दलहनी फसल सुधार कार्यक्रम को
गति देने के लिए विभिन्न केन्द्रों में उपलब्ध जनन द्रव्य अन्य केन्द्रों
के साथ साझा करने पर बल दिया गया। इसके साथ ही दलहन फसलों में लाभदायक
सूक्ष्म जीवों जैसे राईजोबियम, ट्राइकोडर्मा आदि के उपयोग को बढ़ावा देने की
अनुशंसा की गई। जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक खाद एवं जैव
उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। समापन समारोह में
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के निदेशक डॉ. बंसा सिंह, अखिल भारतीय
समन्वित अनुसंधान परियोजना चना के परियोजना समन्वयक डॉ. जी.पी. दीक्षित,
अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना मुलार्प के परियोजना समन्वयक डॉ.
आई.पी. सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ.
विवेक त्रिपाठी, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. पी.के. चन्द्राकर, कृषि
महाविद्यालय रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. के.एल. नंदेहा, स्वामी विवेकानंद कृषि
अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. वी.के. पाण्डेय, खाद्य
प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ए.के. दवे, परियोजना समन्वयक
डॉ. दीपक चन्द्राकर सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित
थे।