26.6 C
Raipur
Tuesday, June 24, 2025

Ahoi Ashtami पर इस विधि से करें अहोई माता की पूजा, संतान से जुड़ी समस्या होगी दूर

Must read

सनातन धर्म में संतान की लंबी उम्र और सफल भविष्य के लिए अहोई अष्टमी  व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। इस दिन अहोई माता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत कथा का पाठ किया जाता है।

  1. अहोई अष्टमी व्रत संतान के लिए किया जाता है।
  2. व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है।
  3. इस दिन अहोई माता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होती है।

अहोई अष्टमी का पर्व दिवाली से पहले मनाया जाता है। इस त्योहार को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में उपासना करने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इससे संतान को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि अहोई माता की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक न करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए इस दिन विधि-विधान से उपासना करनी चाहिए। अगर आप भी इस व्रत को कर रही हैं, तो इससे पहले इस लेख में दी गई अहोई अष्टमी   का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लें।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की  का प्रारंभ 24 अक्टूबर को रात 01 बजकर 18 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को रात 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में 24 अक्टूबर को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाएगा।

इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त  शाम को 05 बजकर 42 मिनट से लेकर 06 बजकर 59 मिनट तक है। इस दौरान महिलाएं अहोई माता और भगवान गणेश की उपासना कर सकती हैं।

  • अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
  • अहोई अष्टमी के दिन सुबह स्नान करें।
  • इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें।
  • घर में साफ स्थान पर अहोई माता का चित्र बनाएं।
  • संध्याकाल में विधिपूर्वक अहोई माता की उपासना करें।
  • माता को कुमकुम लगाएं और फूल माला अर्पित करें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और अहोई माता की आरती करें।
  • फल, मिठाई, पूरी और सब्जी समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
  • व्रत कथा का पाठ करें।
  • तारों को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।

अहोई अष्टमी की पूजा के दौरान सच्चे मन से ‘ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः’ का जप करें। धार्मिक मान्यता है कि मंत्र का जप करने से जातक को संतान से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article