रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए बड़ा हथियार बन चुका है। कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रही हैं। जहां कांग्रेस ने जिला पंचायतों में ओबीसी आरक्षण को लेकर 2019 और 2025 के आंकड़े जारी किए, वहीं भाजपा ने विधानसभा चुनावों और मंत्रिमंडल में ओबीसी प्रतिनिधित्व के आंकड़ों से पलटवार किया है।
कांग्रेस का आरोप: बीजेपी ने खत्म किया ओबीसी आरक्षण
कांग्रेस ने अपने पोस्ट में दावा किया कि 2019 में 27 जिला पंचायतों में से 7 में ओबीसी के लिए आरक्षण था, लेकिन 2025 में 33 जिला पंचायतों में किसी में भी ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया गया। कांग्रेस ने भाजपा पर पिछड़ा वर्ग को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने आरक्षण खत्म कर ओबीसी समाज के साथ अन्याय किया है।
भाजपा का पलटवार: कांग्रेस ने खुद ओबीसी को किया दरकिनार
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया कि कांग्रेस खुद को ओबीसी हितैषी दिखाने का ढोंग कर रही है। भाजपा ने 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। भाजपा ने सवाल किया कि कांग्रेस ने कितने ओबीसी नेताओं को टिकट दिया और कितनों को मंत्रिमंडल में जगह दी?
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाया आयोग
राज्य सरकार ने 16 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 24 अक्टूबर 2024 को प्रस्तुत की, जिसे 28 अक्टूबर 2024 को स्वीकृत किया गया। भाजपा ने कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिए गए हैं, लेकिन कांग्रेस जनता को गुमराह करके राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।