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Tuesday, October 28, 2025

रूस ने परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल ‘Burevestnik’ का सफल परीक्षण किया — अमेरिका और नाटो में बढ़ी चिंता

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रूस ने हाल ही में अपनी परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल ‘बुरेवेस्टनिक’ (Burevestnik) का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण आर्कटिक क्षेत्र में स्थित नोवाया ज़ेमल्या (Novaya Zemlya) परीक्षण केंद्र से किया गया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस मिसाइल को देश की “रणनीतिक क्षमता का नया प्रतीक” बताया है। इस घोषणा के बाद अमेरिका और नाटो देशों में सुरक्षा चिंताएँ गहराने लगी हैं, क्योंकि यह मिसाइल लंबे समय तक उड़ान भरने और असीम दूरी तक मार करने में सक्षम बताई जा रही है।

‘Burevestnik’ मिसाइल क्या है?

‘Burevestnik’ (NATO नाम: SSC-X-9 Skyfall) एक परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल है जो न्यूक्लियर इंजन की मदद से अनिश्चितकाल तक उड़ सकती है। इसका मतलब है कि यह मिसाइल पारंपरिक क्रूज़ मिसाइलों की तुलना में कई गुना अधिक दूरी तक जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी मारक क्षमता हजारों किलोमीटर तक है, और यह रडार सिस्टम को भी भ्रमित कर सकती है। रूस का दावा है कि यह मिसाइल “सुपर डिटेरेंट वेपन” के रूप में विकसित की गई है, जो किसी भी देश की रक्षा प्रणाली को भेद सकती है।

अमेरिका और नाटो की बढ़ती चिंता

अमेरिका के रक्षा विभाग (Pentagon) ने इस परीक्षण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पेंटागन प्रवक्ता ने कहा कि रूस का यह कदम वैश्विक सुरक्षा संतुलन के लिए खतरा है और यह “न्यूक्लियर आर्म्स रेस” को फिर से जगा सकता है। नाटो (NATO) ने भी अपने सदस्य देशों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं। ब्रिटेन और फ्रांस ने इस कदम को “उकसाने वाला कदम” बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।

तकनीकी विवरण और रणनीतिक महत्व

रूस के वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘बुरेवेस्टनिक’ एक लो-फ़्लाइंग, रडार-एवॉइडिंग मिसाइल है जो कई प्रकार के वारहेड ले जा सकती है। इसमें न्यूक्लियर प्रोपल्शन सिस्टम है, जिससे यह पारंपरिक ईंधन पर निर्भर नहीं रहती। यह मिसाइल ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ान भरकर किसी भी दिशा से लक्ष्य को भेद सकती है, जिससे दुश्मन देशों की रक्षा पंक्तियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह मिसाइल रूस की हाइपरसोनिक हथियारों की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चुनौती देना है।

वैश्विक प्रतिक्रिया और संभावित असर

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने रूस से आग्रह किया है कि वह “अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और हथियार नियंत्रण संधियों” का पालन करे। विशेष रूप से New START Treaty (2021) के तहत रूस और अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों की सीमा तय की गई थी, लेकिन यह परीक्षण उस समझौते की भावना के विपरीत माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह परीक्षण “नए प्रकार के परमाणु प्रसार (nuclear proliferation)” का संकेत है, जो दुनिया को ठंडी जंग (Cold War) जैसे माहौल की ओर वापस ले जा सकता है।

भारत और एशिया के लिए प्रभाव

भारत सहित एशियाई देशों के लिए यह परीक्षण भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की यह रणनीति एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की उपस्थिति को संतुलित करने का प्रयास है। भारत ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत को अपने न्यूक्लियर और मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम को और मजबूत करना होगा।

भविष्य की दिशा

रूस की यह घोषणा ऐसे समय आई है जब दुनिया पहले से ही यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व तनाव और चीन-अमेरिका प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रही है। यह परीक्षण निश्चित रूप से वैश्विक राजनीति में नई हथियार होड़ की शुरुआत का संकेत दे रहा है।

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