सहस्रबाहु अर्जुन का जन्मदिवस कार्तिक शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है. इस बार जयंती 8 नवंबर को मनाई जाएगी. कलचुरी कलार समाज 8 नवंबर (शुक्रवार) को भगवान सहस्रबाहु अर्जुन की जयंती धूमधाम से मनाएगा. धर्मग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में सहस्रबाहु अर्जुन नर्मदा नदी के तट पर स्थित महिष्मती नगरी के राजा थे. माहेष्मती का अर्थ है मध्य प्रदेश का महेश्वर शहर. सहस्रबाहु अर्जुन को यह नाम उनके एक हजार हाथों के कारण मिला. उनका मूल नाम अर्जुन था. अर्जुन ने अपनी भक्ति से भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न किया और उनसे वरदान में एक हजार हाथ मांगे. इसके बाद राजा का नाम सहस्रबाहु अर्जुन रखा गया.
इस प्रकार रावण की पराजय हुई
रावण को अपनी शक्ति पर घमंड था. एक दिन वह अहंकारवश हजारों हथियारों से लैस होकर अर्जुन से युद्ध करने गया. ऐसा माना जाता है कि उस समय राजा सहस्रबाहु अर्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा नदी का पानी रोक दिया और फिर अचानक पानी छोड़ दिया. इसके बाद रावण की सेना नर्मदा की धारा में बह गयी. बाद में हजारों हथियारों से लैस अर्जुन ने रावण को पकड़ लिया. इसके बाद रावण ने सहस्रबाहु अर्जुन से मित्रता की और उसकी कैद से मुक्त हो गया.
परशुराम और सहस्रबाहु अर्जुन के बीच युद्ध छिड़ गया
महाभारत की कथा के अनुसार सहस्रबाहु अर्जुन अपनी सेना सहित ऋषि जमदग्नि के आश्रम में रुके थे. उस समय कामधेनु ऋषि जमदग्नि से गा रही थी. कामधेना सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली दिव्य गाय थी. कामधेनु की सहायता से ऋषि जमदग्नि ने सहस्रबाहु अर्जुन का भव्य स्वागत किया. कामधेनु का चमत्कार देखकर हजारों अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित अर्जुन उस गाय को बलपूर्वक अपने साथ ले गये. जब यह बात ऋषि जमदग्नि के पुत्र परशुराम को पता चली तो वे क्रोधित हो गये. परशुराम सहस्रबाहु अर्जुन से युद्ध करने गये. परशुराम और सहस्रबाहु अर्जुन के बीच युद्ध हुआ, जिसमें परशुराम ने सहस्रबाहु को हरा दिया. इसके बाद बदला लेने के लिए सहस्रबाहु अर्जुन के पुत्रों ने ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी. अपने पिता की हत्या से क्रोधित होकर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया.